रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पूर्वी लद्दाख की पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारों से सेनाओं को पीछे हटाए जाने को लेकर भारत और चीन के बीच सहमति बन गई है।राज्यसभा में एक वक्तव्य के जरिए दोनों देशों के बीच हुए समझौते का विवरण देते हुए उन्होंने कहा कि चीनी सेना झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर-8 के पूर्व में अपनी सैन्य उपस्थिति बनाए रखेगी तो दूसरी ओर भारतीय सेना फिंगर-3 के पास धन सिंह थापा चौकी पर बनी रहेगी।
रक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया कि इस प्रक्रिया के दौरान भारत ने कुछ भी खोया नहीं है।चीनी सेना ने फिंगर-4 और फिंगर-8 के बीच के क्षेत्रों में बंकरों समेत कई विभिन्न निर्माण कायरें का अंजाम दिया था और फिंगर-4 से आगे भारतीय सेना की पेट्रोलिंग पर रोक लगा दी थी। भारतीय सेना ने इसका पुरजोर विरोध करते हुए प्रतिक्रिया व्यक्त की।
चीन के साथ नौ दौर की सैन्य वार्ता में भारत ने पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर-4 से फिंगर-8 के बीच चीनी सेनाओं को हटाए जाने पर जोर दिया। जेएनयू के राष्ट्रीय सुरक्षा केंद्र में सहायक प्रोफेसर डॉक्टर लक्ष्मण बेहेरा चीनी सेना के फिंगर-8 तक लौट जाने की घोषणा को अहम बताया।
इससे पहले, रक्षा मंत्री ने कहा कि दोनों पक्ष चरणबद्ध, समन्वित और सत्यापित तरीके से अपनी आगे की तैनाती को रोक देंगे। रक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया कि इस प्रक्रिया के दौरान भारत ने कुछ भी खोया नहीं है। उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के अन्य क्षेत्रों में तैनाती और निगरानी के बारे में कुछ लंबित मुद्दे बचे हैं।
उन्होंने कहा इन पर हमारा ध्यान आगे की बातचीत में रहेगा।रक्षा मंत्री ने कहा कि पैंगोंग झील क्षेत्र में चीन के साथ सेनाओं के पीछे हटने का जो समझौता हुआ है, उसके अनुसार दोनों पक्ष अग्रिम तैनाती को चरणबद्ध तरीके से हटाएंगे। सिंह ने कहा ये कदम आपसी समझौते के तहत बढाए जाएंगे तथा जो भी निर्माण आदि दोनों पक्षों द्वारा अप्रैल 2020 से उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर किया गया है।
उन्हें हटा दिया जाएगा और पुरानी स्थिति बना दी जाएगी।रक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि राजनाथ सिंह का यह बयान स्पष्ट करता है कि फिंगर-3 और फिंगर-8 के बीच का क्षेत्र भविष्य में तैनाती को लेकर किसी समझौते पर पहुंचने तक प्रभावी तौर पर नो पेट्रोलिंग क्षेत्र हो जाएगा।