इसरो श्रीहरिकोटा से गूगल के उपग्रह के साथ अन्य 19 उपग्रहों को अंतरिक्ष में लॉन्च करने जा रहा है.पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) अपनी 36वें प्रक्षेपण के दौरान 20 उपग्रहों को अंतरिक्ष में ले जाएगा, वही अगर इसकी लागत की बात करे तो इसकी लागत अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों की तुलना में 10 गुना कम होगी.इसरो भारत-अमेरिका मित्रता के प्रतीक के रूप में 13 अमेरिका-निर्मित छोटे उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजेगा, जिनमें गूगल के मालिकाना हक वाली कंपनी टेरा बेला द्वारा बनाया गया पृथ्वी की तस्वीरें खींचने वाला उपग्रह भी शामिल है.
गूगल का यह सैटेलाइट स्काईसैट जेन2, 110 किलोग्राम वज़न का है, और यह सब-मीटर रिसॉल्यूशन की तस्वीरें खींचने तथा हाई-डेफिनिशन वीडियो बनाने में सक्षम है.इस वक्त सबसे ज़्यादा उपग्रह लॉन्च करने के रिकॉर्ड की अगर बात करे तो यह रिकॉर्ड रूस के पास है. साल 2014 में रूस ने इस रिकॉर्ड पर कब्जा कर लिया था,जब उन्होंने डीएनईपीआर रॉकेट के ज़रिये एक साथ 33 उपग्रह अंतरिक्ष में भेजे थे.
वही 28 अप्रैल, 2008 को इसरो ने एक ही बार में सबसे ज़्यादा उपग्रह अंतरिक्ष में भेजने का विश्व रिकॉर्ड बनाया था, जब पीएसएलवी ने एक साथ 10 उपग्रहों को अंतरिक्ष में भेजा था, लेकिन वर्ष 2013 में अमेरिकी मिनोटॉर-1 रॉकेट ने यह रिकॉर्ड तोड़ दिया, और एक साथ 29 उपग्रह ले गया,लेकिन अब यह रिकॉर्ड रूस के नाम है.
320 टन वज़न वाला पीएसएलवी बुधवार को कनाडा, इंडोनेशिया, जर्मनी और अमेरिका आदि देशों के 17 छोटे उपग्रहों को ले जा रहा है.इस लॉन्च का सबसे प्रमुख उपग्रह 727 किलोग्राम वज़न का पृथ्वी की निगरानी करने वाला भारतीय ‘कार्टोसैट’ होगा, जो सब-मीटर रिसॉल्यूशन में तस्वीरें खींच सकता है.