वित्त मंत्रालय ने रिजर्व बैंक से पूछा है कि बैंकिंग सिस्टम में क्या खामियां हैं जिनकी वजह से पीएनबी का घोटाला 7 साल तक पकड़ा नहीं जा सका। वित्तीय सेवा विभाग ने इस सिलसिले में आरबीआई को लेटर लिखा है। सूत्रों के मुताबिक, इसमें धोखाधड़ी रोकने के लिए बैंकिंग रेग्युलेटर की राय भी मांगी गई है। बैंक के ऑडिटर इतने बड़े घोटाले को पकड़ नहीं सके, मंत्रालय ने इस बारे में भी आरबीआई से जवाब मांगा है।
अफसरों की मानें तो ऑडिटरों की नियुक्ति के नियम सख्त हो सकते हैं। बैंक मैनेजमेंट को इससे दूर रखा जा सकता है। अभी सरकारी बैंकों और सरकार के नियंत्रण वाली दूसरी कंपनियों के लिए ऑडिटर अप्वाइंट करने के नियम अलग हैं।सरकारी कंपनियों में कंप्ट्रोलर एंड ऑडिटर जनरल (सीएजी) हर फाइनेंशियल ईयर के लिए एक ऑडिटर नियुक्त करता है, जो सीएजी को ही अपनी रिपोर्ट सौंपता है।
लेकिन सरकारी बैंक खुद अपने ऑडिटर नियुक्त करते हैं। ऑडिटरों की न्यूनतम संख्या का अभी कोई प्रावधान नहीं है। इसे भी तय किया जा सकता है।पंजाब नेशनल बैंक घोटाले के कारण सोमवार को पीएनबी, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, यूनियन बैंक, सिंडीकेट बैंक, यूको बैंक, इलाहाबाद बैंक, ओरिएंटल बैंक, देना बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन बैंक के शेयर सेंट्रल बैंक 52 हफ्ते के निचले स्तर पर पहुंच गए।
मेहुल चौकसी की कंपनी गीतांजलि जेम्स के स्टॉक 10% गिरावट के साथ 33.80 रुपए पर आ गए। चार दिनों में यह 47% नीचे आ चुका है। कंपनी का मार्केट कैप सिर्फ 400 करोड़ रुपए रह गया है।इनकम टैक्स विभाग की मई 2017 की रिपोर्ट के अनुसार नीरव मोदी ने नोटबंदी के बाद करोड़ों का कालाधन सफेद किया था।
नीरव मोदी ज्वेलर्स ने नोटबंदी की घोषणा के बाद 5,200 ग्राहकों से 90 करोड़ लिए, लेकिन रसीद केवल 65 ग्राहकों को दी। अपने पास पहले से रखे कैश को ग्राहकों से मिला कैश बता दिया। ज्वैलर ने उस दिन 8 बजे के बाद के सीसीटीवी फुटेज डिलीट कर दिए थे।4 साल तक गीतांजली जेम्स के एमडी और 2 साल वीपी रहे संतोष श्रीवास्तव का दावा है कि मेहुल चौकसी खातों में गड़बड़ी, इन्वेंटरी में कम माल दिखाने जैसे काम करता था।
उनका दावा है कि उन्होंने इन गड़बड़ियों के बारे में बताया था, लेकिन तब एजेंसियां हरकत में नहीं आईं। गीतांजलि ग्रुप के साथ जुड़ने से पहले श्रीवास्तव ने करीब एक दशक तक टाटा ग्रुप के साथ काम किया था।बैंक कर्मचारियों के संगठन एआईबीईए ने मांग की है कि जांच पूरी होने तक पीएनबी के शीर्ष मैनेजमैंट को बाहर रखा जाना चाहिए। यह दर्शाने की कोशिश की जा रही है कि सिर्फ निचले स्तर के कर्मचारी इस घोटाले में शामिल हैं। बड़े अधिकारियों की जानकारी के बिना यह संभव नहीं था।