अफगान संकट को लेकर प्रधानमंत्री आवास पर बड़ी बैठक का आयोजन किया गया. इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस जयशंकर, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और NSA अजीत डोभाल भी शामिल हुए. लगभग ढाई घंटे चली बैठक में अफगानिस्तान संकट पर चर्चा हुई.
अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर दुनिया की नजर है. तालिबान के कब्जे के बाद से लगातार हालात खराब हुए हैं. फिलहाल पंजशीर पर कब्जे के लिए संघर्ष चल रहा है. भारत के लिए सबसे अहम इस घटनाक्रम में पाकिस्तान की भूमिका पर नजर रखना है.
अफगानिस्तान में हालिया घटनाक्रम को लेकर ऐसा लगता है कि पाकिस्तान इस मौके का आतंकवाद को बढ़ाने के लिए उपयोग कर सकता है. कई पाकिस्तानी काबुल के पतन का जश्न मना रहे हैं. पाकिस्तान में इमरान खान सरकार के कई मंत्रियों द्वारा काबुल के पतन को भारतीय प्रभाव की हार बताया जा रहा है.
सूत्रों के मुताबिक इस बैठक में पाकिस्तान के अफगानिस्तान में बढ़ते प्रभाव पर चर्चा हुई. तालिबान को लेकर देश के नजरिए को लेकर भी बैठक के दौरान चर्चा हुई. क्योंकि पाकिस्तान सरकार अफगानिस्तान के घटनाक्रम और बदलती स्थिति का जवाब देने और उससे संपर्क करने को लेकर सतर्क है.
तालिबान की संभावित नई सरकार में पाकिस्तान की भूमिका को लेकर भी सरकार सतर्क है.बता दें, अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद पाकिस्तान इस बात को लेकर लाभ की उम्मीद कर रहा है कि भारत, तालिबान के साथ संबंध नहीं बनाएगा.
ऐसे में तालिबान, पाकिस्तान को हिंसा भड़काने और आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए अपनी धरती का उपयोग करने देगा. पाकिस्तान सीमाओं के माध्यम से एक-दूसरे के देश में आतंकवादी समूहों को आसानी से पनाह देने के सपने भी देख रहा है. पाकिस्तान के साथ-साथ चीन भी तालिबान के जरिए माहौल खराब करने की कोशिश कर सकता है.