प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीतियों का विरोध करने वाले एक छात्रों के फोरम पर बैन लगा दिया है। अंबेडकर पेरियार स्टूडेंट सर्किल नाम के छात्र समूह को बैन करने का फैसला तब लिया गया जब मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने समूह के खिलाफ मिले शिकायत की जांच कराई।समूह के खिलाफ की गई शिकायत में मंत्रालय को एक पम्फलेट भी संलग्न किया गया था जिस पर मोदी के नीतियों का विरोध किया गया था। समूह का आरोप है कि मोदी अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों से हिन्दी और गाय के मांस के नाम पर विद्वेष पैदा कर रहे हैं।
सचिव प्रिस्का मैथ्यू ने आईआईटी निदेशक को भेजे एक पत्र में लिखा है कि ‘ अज्ञात छात्रों द्वारा मिली शिकायत और इसके साथ संलग्न एक पैंफलेट भेज रहा हूं जो अंबेडकर पेरियार स्टूडेंट सर्किल की ओर से है और जितना जल्दी हो सके इसे मानव संसाधन विकास मत्रालय को संस्थान का पक्ष भेज दें।’सचिव ने यह पत्र आईआईटी निदेशक को 15 मई को पत्र भेजा था, जिसके बाद 24 मई को आईआईटी डीन, छात्र एम एम श्रीनिवासन ने अंबेडकर पेरियार स्टूडेंट सर्किल के समन्वयक को भेजे एक ई-मेल में बताया कि यह समूह अब अमान्य घोषित हो चुका है।
इस विषय पर समूह के सदस्यों का कहना है कि मंत्रालय औरल संस्थान का फैसला दक्षिणपंथी समूहों के शिकायत के आधार पर किया गया है। समूह के छात्रों का कहना है कि अज्ञात लोगो की शिकायत के आधार पर किसी की आवाज को कैसे दबाया जा सकता है?अंबेडकर पेरियार स्टूडेंट सर्किल का गठन एक परिचर्चा मंच के तौर पर 14 अप्रैल 2014 को किया गया था। यह छात्र समूह अंबेडकर औऱ पेरियार की विचारधारा और लेखनी को प्रचारित करने के मकसद से काम कर रहा था। यह समूह आईआईटी कैंपस में सामाजिक, आर्थिक, औऱ राजनैतिक मुद्दों पर चर्चाएं कराता रहा है।
जिस पैंफलेट को शिकायत से संलग्न कर के भेजा गया था उसमें द्रविड़ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आरवी गोपाल का ‘अंबेडकर की प्रासंगिकता’ विषय पर दिए गए भाषण का हिस्सा था। जिसमें उन्होंने मोदी सरकार को उद्योगपतियों की सरकार बताया था और उनके कई विधेयकों के बारे में अपनी राय दी थी।आईआईटी मद्रास के इस फैसले का विरोध भी हो रहा है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के डी राजा ने कहा कि मैं इस फैसले की कठोर निन्दा करता हूं। यह अपमानजनक और पक्षपाती फैसला है। अगर वो प्रधानमंत्री और केन्द्र सरकार को घेरे में ला रहे हैं तो इससे किसी को क्यों दिक्कत हो रही है।
उन्होंने कहा कि असहमति होना लोकतंत्र की अपनी खासियत है। जनता को यह अधिकार है कि वो सरकार की आलोचना कर सके। वहीं स्टडी सर्किल के सदस्य रमेश का कहना है कि परिचर्चाएं गठित कराना हमारा संवैधानिक अधिकार है। संस्थान द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बाद समूह आईआईटी के सभागार और अन्य सुविधाओं का इस्तेमाल अपने कार्यक्रमों के लिए नहीं कर सकता।