हरियाणा की मनोहरलाल खट्टर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने अपने दो ताप विद्युत संयंत्रों में 780 करोड़ रुपये की लागत से प्रदूष्ण नियंत्रण उपकरण स्थापित करने के लिए चीनी कंपनियों को दिए ठेके रद्द कर दिए हैं।यह कदम दोनों पड़ोसी देशों के बीच बढ़े तनाव के मद्देनजर उठाया गया है।
हरियाणा विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड (एचपीजीसीएल) ने ये ठेके यमुनानगर और हिसार कस्बों में स्थित संयंत्रों में उपकरण स्थापित करने के लिए वैश्विक टेंडरिंग के जरिए दिए थे।बीजिंग एसपीसी एनविरॉनमेंट प्रोटेक्शन टेक को ठेका यमुनानगर स्थित दीनबंधु छोटू राम ताप विद्युत केंद्र के लिए दिया गया था, और शंघाई इलेक्ट्रिक कॉर्प का चयन हिसार स्थित राजीव गांधी ताप विद्युत संयंत्र के लिए किया गया था।
अधिकारियों ने स्वीकार किया कि चीनी कंपनियों द्वारा कोट किए गए मूल्य प्रतिस्पर्धी थे।ठेके देते समय राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम (एनटीपीसी) से परामर्श किया गया था।केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने दिसंबर 2015 में अपनी गाइडलाइन्स में ताप विद्युत संयंत्रों में प्रदूषण नियंत्रण उकरण स्थापित किए जाने को अनिवार्य कर दिया था।
इन टेंडरों के को रद्द करने के बाद राज्य सरकार ने नए सिरे से निविदा आमंत्रित करने का निर्णय लिया है, लेकिन सिर्फ उन कंपनियों की तरफ से जो भारत में पंजीकृत हैं।यमुनानगर विद्युत केंद्र के लिए जारी टेंडर के लिए पांच बोलियां प्राप्त हुई थीं, जिनमें से तीन बोलीदाता चीन से थे और अन्य भारतीय बोलीदाता थे।
हिसार संयंत्र के लिए टेंडर में तीन कंपनियों ने हिस्सा लिया था, जिनमें से दो चीनी थीं और एक एक कंपनी विदेशी कोलैबोरेशन वाली भारतीय कंपनी थी।एक बयान में कहा गया है दोनों टंडरों में एल-1 (सबसे कम बोली) बोलीदाता चीनी हैं और प्राप्त कीमत प्रतिस्पर्धी है।
प्रतिस्पर्धी रेट प्राप्त होने के बावजूद हरियाणा सरकार ने इन टेंडरों को रद्द करने का निर्णय लिया है और एनटीपीसी के पैटर्न पर आधारित नए टेंडर जारी किए जाएंगे, जिसमें उन्हीं बोलीदाताओं को भाग लेने की अनुमति होती है, जो भारत में पंजीकृत हैं।