उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने को लेकर उच्च न्यायालय पहुंचे हरीश रावत

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उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने को लेकर हरीश रावत ने राज्य उच्च न्यायालय में चुनौती दी.कांग्रेस निरंतर यह आरोप लगाते हुए भाजपा पर हमले बोल रही है कि केंद्र ने हरीश रावत सरकार को उस वक्त अपदस्थ कर दिया जब राज्यपाल ने उसे विधानसभा में बहुमत साबित करने का समय दिया था.बहरहाल, केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली ने राज्य में ‘संवैधानिक संकट’ के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि विधानसभा अध्यक्ष ने ‘गिर चुके’ विनियोग विधेयक को पारित घोषित कर दिया और फिर ‘गलती’ को सही साबित करने में नाकाम रहे.

जेटली ने ‘ए स्टेट विदाउट ए बजट’ शीषर्क वाले एक ‘फेसबुक पोस्ट’ में लिखा, ‘‘इसने राज्य को एक अप्रैल, 2015 से बिना अनुमति वाले खर्च की स्थिति में छोड़ दिया.उधर, हरीश रावत ने केंद्र सरकार के राष्ट्रपति शासन लगाने के निर्णय को ‘तानाशाही का निर्लज्ज प्रदर्शन’ बताते हुए आज उत्तराखंड उच्च न्यायालय से उसे समाप्त किये जाने और उनकी सरकार को बहाल किये जाने का अनुरोध किया. 

रावत की तरफ से यह रिट याचिका उनके वकील और उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की एकल पीठ में दायर की जिन्होंने करीब चार घंटे तक दोनों पक्षों को सुनने के बाद सुनवाई कल तक के लिये स्थगित कर दी.

सिंघवी ने कहा कि राज्य में अनुच्छेद 356 लगाने के लिए स्थिति अनुकूल नहीं थी.केंद्र सरकार को प्रतिवादी बनाने वाली इस याचिका में प्रदेश में अनुच्छेद 356 का इस्तेमाल कर विधानसभा में प्रस्तावित शक्ति परीक्षण से केवल एक दिन पहले राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र सरकार के निर्णय के औचित्य को चुनौती देते हुए कहा गया है कि यह पूरी लोकतांत्रिक प्रक्रिया को क्षति पहुंचाने के मकसद से किया गया.

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