गुरमीत राम रहीम सुभाषचंद्र बोस पर फिल्म बनाने की प्लानिंग कर रहा था. वह इस फिल्म के जरिए बंगाली सिनेमा इंडस्ट्री में पैर जमाना चाहता था. इससे पहले उसने एमएसजी के जरिए बॉलीवुड फिल्मों में एंट्री मारी थी.जानकारी के मुताबिक़ दो महीने बाद नवंबर से वह नेताजी सुभाषचंद्र बोस पर काम शुरू करने वाला था.
पहले की फिल्मों की तरह इसके लिए भी वह खुद ही अभिनय, लेखन और निर्देशन करता. साल के अंत तक उसकी योजना फिल्म को परदे पर ले जाने की थी. हालांकि, अब कोर्ट के फैसले के बाद उसके ये प्रोजेक्ट धरा रह गया. बता दें कि दो साध्वियों से रेप के 15 साल पुराने मामले में सीबीआई कोर्ट ने उसे 20 साल की सजा सुनाई है.
उसके ऊपर जिस तरह के आपराधिक मामले चल रहे हैं, उसे देखते हुए जेल से बाहर आना नामुमकीन माना जा रहा है.सूत्रों ने कन्फर्म किया कि राम रहीम अपनी आगामी फिल्म में खुद को नेताजी के किरदार में प्रस्तुत करने वाला था. इसके लिए उसकी नवंबर में कोलकाता जाकर काम शुरू करने की योजना थी.
इसी दौरान उसके एजेंडा में नेताजी के परिजनों से मुलाक़ात के साथ ही नेताजी की लाइफस्टाइल, संघर्ष और व्यक्तित्व को भी समझना था.फिल्म के लिए कोलकाता में उसकी मदद कर रहे एक नजदीकी सूत्र ने बताया वह (राम रहीम) नेताजी से बहुत प्रभावित था. फिल्म के जरिए वह नेताजी से जुड़े प्रसंग और मिस्ट्री को अपने तरीके से लोगों के सामने लाना चाहता था.
वह फिल्म के लिए टॉलीवुड के लोगों से अंतिम दौर की बातचीत कर रहा था. इसमें फिल्म की स्टारकास्ट भी शामिल थी.” सूत्रों के मुताबिक़ होटल बुकिंग, स्टार कास्ट और लोकेशन जैसे बिंदुओं को सितंबर के अंत तक फाइनल किया जाना था.दरअसल, राम रहीम को बॉलीवुड दूर की कौड़ी नजर आया. उसका मकसद इतिहास के रास्ते बंगाली फिल्म उद्योग में आना था.
इसके लिए वह नेताजी के जरिए बंगाल और भारत में पहचान बनाना चाहता था. उसने फिल्म के लिए कई बंगाली सितारों का नाम तय कर लिया था. इसमें कुछ अभिनेत्रियां भी शामिल थीं.इस फिल्म के अलावा उसका एक दूसरा प्रोजेक्ट भी था. इसके तहत वह एमएसजी ऑनलाइन गुरुकुल का निर्माण करना चाहता था.
इस फिल्म को भव्य तरीके से बनाने की योजना थी, जिसमें कभी न दिखने वाले उच्च तकनीकी विज्ञान, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और प्राचीन ज्ञान के संयोजन को दिखाना था. दोनों फिल्में राम रहीम खुद निर्देशित करता. हनीप्रीत और किट्टू सलूजा को-डायरेक्टर थे.