जीएसटी से जुड़े चारों बिल राज्यसभा में भी पास हो गए। ये हैं- सेंट्रल जीएसटी (सी-जीएसटी), इंटिग्रेटेड जीएसटी (आई-जीएसटी), यूनियन जीएसटी (यूटी-जीएसटी) और मुआवजा कानून बिल। अब इनके 1 जुलाई से लागू होने का रास्ता साफ हो गया है। लोकसभा में ये 29 मार्च को अमेंडमेंट के साथ पास हो चुके थे। दिलचस्प यह रहा कि राज्यसभा में कांग्रेस ने कोई अमेंडमेंट पेश नहीं किया। जयराम रमेश ने कहा बिल पर आम सहमति के लिए ऐसा न करने की उन्हें मनमोहन सिंह ने सलाह दी थी।
1.सीजीएसटी यानी सेंट्रल जीएसटी:इसे केंद्र सरकार वसूलेगी।
2.एसजीएसटी यानी स्टेट जीएसटी:इसे राज्य सरकार वसूलेगी।
3.आईजीएसटी यानी इंटिग्रेटेड जीएसटी:अगर कोई कारोबार दो राज्यों के बीच होगा तो उस पर यह टैक्स लगेगा। इसे केंद्र सरकार वसूलकर दोनों राज्यों में बराबर बांट देगी।
4.यूनियन टेरेटरी जीएसटी:यूनियन गवर्नमेंट द्वारा एडिमिनिस्ट्रेट किए जाने वाले गुड्स, सर्विस या दोनों पर लगेगा। इसे सेंट्रल गवर्नमेंट ही वसूलेगी।
1 जुलाई से जीएसटी लागू होने की उम्मीद बढ़ी।वन नेशन-वन टैक्स की 17 साल से जारी टैक्स रिफॉर्म की कोशिश कामयाब होगी। सबसे पहले वाजपेयी सरकार ने 2000 में जीएसटी के बारे में सोचा था।20 से ज्यादा इनडायरेक्ट टैक्स खत्म होंगे। ये देश के लिए ऐतिहासिक होगा।एक स्टडी के मुताबिक, इससे देश की जीडीपी ग्रोथ रेट एक से दो फीसदी बढ़ सकती है। ना केवल नई नौकरियां पैदा होंगी, बल्कि प्रोडक्टिविटी भी बढ़ेगी।
एसजीएसटी को सभी राज्यों विधानसभा में पारित किया जाना है। जीएसटी काउंसिल की बैठक 31 मार्च को होगी। इसमें नियमों को मंजूरी दी जाएगी। फिर अलग-अलग प्रोडक्ट और सर्विसेस पर कितना जीएसटी लगेगा, यह तय किया जाएगा।जीएसटी के लिए 5, 12, 18 और 28% की चार दरों की स्लैब का प्रपोजल है।केंद्र और राज्य ज्यादातर टैक्स अलग-अलग वसूलते हैं। कुछ केंद्रीय टैक्स में से राज्यों को भी हिस्सा मिलता है।
केंद्र को किसी भी प्रोडक्ट या सर्विस पर मैक्सिमम 20% टैक्स लेने का हक होगा। राज्य भी केंद्र के बराबर टैक्स वसूलेंगे। यानी दोनों मिलकर किसी प्रोडक्ट या सर्विस पर 40% तक टैक्स तय कर सकते हैं।टैक्स चोरी, गलत टैक्स क्रेडिट या गलत रिफंड की रकम 5 करोड़ रु. से ज्यादा है तो 5 साल तक की जेल और जुर्माना दोनों हो सकता है। यह रकम 2 से 5 करोड़ रु. के बीच है तो 3 साल जेल और जुर्माना होगा। रकम 1 से 2 करोड़ के बीच है तो 1 साल जेल और जुर्माना लगेगा।
दूसरी या उससे ज्यादा बार गलती पकड़े जाने पर 5 साल तक जेल और जुर्माना लगेगा। गलती कंपनी की है तो कंपनी के साथ उसके प्रमुख को भी दोषी माना जाएगा और सजा होगी। इनमें कंपनी के डायरेक्टर भी शामिल होंगे। ट्रस्ट के मामलों में मैनेजिंग ट्रस्टी और या एलएलपी के पार्टनर जिम्मेदार होंगे।अभी ये होता है:वैट नियम में जेल की सजा का प्रावधान नहीं है। डायरेक्टर या कंपनी प्रमुख को सजा का नियम अब भी है।
जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स। इसे केंद्र और राज्यों के 20 से ज्यादा इनडायरेक्ट टैक्स के बदले लगाया जा रहा है।जीएसटी के बाद एक्साइज ड्यूटी, सर्विस टैक्स, एडिशनल कस्टम ड्यूटी, स्पेशल एडिशनल ड्यूटी ऑफ कस्टम, वैट/सेल्स टैक्स, सेंट्रल सेल्स टैक्स, मनोरंजन कर, ऑक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स, लग्जरी जैसे टैक्स खत्म होंगे।
टैक्सों का जाल और रेट कम होगा: अभी हम अलग-अलग सामान पर 30 से 35% टैक्स देते हैं। जीएसटी में कम टैक्स लगेगा।एक देश, एक टैक्स: सभी राज्यों में सभी सामान एक कीमत पर मिलेगा। अभी एक ही चीज दो राज्यों में अलग-अलग दाम पर बिकती है, क्योंकि राज्य अपने हिसाब से टैक्स लगाते हैं।
17 साल पहले वाजपेयी सरकार ने इसकी नींव रखी थी। पर मेजॉरिटी ना होने के कारण यह टलता रहा।2009 में यूपीए ने कोशिश की। ज्यादातर राज्यों में गैर कांग्रेसी सरकारें थीं। सभी नुकसान की भरपाई पर अड़ी थीं। अब केंद्र और ज्यादातर राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं।जीएसटी 150 देशों में लागू हो चुका है। लेकिन रेट अलग-अलग हैं।
जापान में 5%, सिंगापुर में 7%, जर्मनी में 19%, फ्रांस में 19.6% है।स्वीडन में 25%, ऑस्ट्रेलिया में 10%, कनाडा में 5%, न्यूजीलैंड में 15% और पाकिस्तान में 18% तक है।यह एक फैक्ट है कि पूरी दुनिया में जीएसटी लागू करने के बाद हुए चुनावों में कोई भी सरकार दोबारा नहीं चुनी गई है।शुरुआती वर्षों में कुछ चीजें महंगी हो जाती हैं। इसका खमियाजा सरकार को भुगतना पड़ता है।