तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में हार से सबक लेकर मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से पहले किसानों को साधने की जुगत में है। सरकारी सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया कि मोदी सरकार देशभर में 26.3 करोड़ किसानों का 4 लाख करोड़ रुपए का कर्ज माफ करने की तैयारी में है।
हालांकि, सरकार ने इन दावों का खंडन किया है।किसी भी चुनाव से पहले जिस दल ने अपने प्रचार में किसानों का कर्जमाफ करने की घोषणा की चुनाव परिणाम ज्यादातर बार उसी के पक्ष में रहे। उत्तर प्रदेश, पंजाब और हाल ही में हुए राजस्थान समेत 5 राज्यों के चुनाव परिणाम इसके उदाहरण हैं।
सूत्रों के मुताबिक कर्ज माफी के लिए पैसे के आवंटन की योजना पर जल्द काम होगा। हालांकि, कृषि मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेट्री अशोक दलवी ने कहा- कर्ज माफी राज्यों का विषय है।दलवी ने कहा कि देशभर में किसानों का कर्ज माफ करने जैसा केंद्र सरकार का कोई प्रस्ताव नहीं है।
लेकिन सरकार का उद्देश्य किसानों की आमदनी बढ़ाना है। दलवी किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए बनाई गई कमेटी के प्रमुख भी हैं।विश्लेषकों के मुताबिक लोकसभा चुनाव नजदीक हैं। ऐसे में गेहूं-धान की गारंटीड कीमत या कोई अन्य आसान कदम उठाकर किसानों को लुभाने के लिए ज्यादा वक्त नहीं बचा।
कर्ज माफी ही सबसे आसान विकल्प है। सरकार ने यह फैसला किया तो किसानों को अब तक मुहैया करवाई गई सबसे बड़ी मदद होगी।कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2008 में किसानों का 72 हजार करोड़ रुपए का कर्ज माफ किया। इसका फायदा मिला। 2009 में यूपीए की दोबारा सरकार बनी।
साल 2017 में उप्र विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने कर्जमाफी का पहला टेस्ट किया। चुनाव में राहुल गांधी ने किसान यात्रा शुरू की, लेकिन पहले ही मोदी सरकार ने किसानों का कर्ज माफ करने का ऐलान कर दिया। भाजपा पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई।
2017 में पंजाब विधानभा चुनाव में कांग्रेस ने किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था। फॉर्मूला सफल रहा। बादल सरकार बेदखल हुई और सत्ता कांग्रेस को मिली। 2018 में मध्यप्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी ने 10 तक गिनती कर कहा- 10 दिन में किसानों का कर्ज माफ कर देंगे। दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकार बन रही है।