सरकार ने अश्लील वेबसाइट पर रोक लगाने का आदेश दिया है. इससे सेंसरशिप और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है.एक अधिकारी ने कहा कि इलेक्ट्रानिक और सूचना प्रौद्योगिकी विभाग ने इंटरनेट सेवा प्रदाताओं से 857 अश्लील वेबसाइटों पर रोक लगाने को कहा है. सेशल मीडिया पर कई लोगों ने इसे सेंसरशिप और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाना बताया है.
निर्णय के पीछे कारणों के बारे में अधिकारी ने कहा कि सरकार ने केवल उच्चतम न्यायालय के निर्देश का पालन किया है. न्यायालय ने अश्लील वेबसाइट्स खासकर बच्चों से जुड़ी अश्लील सामग्रियों पर रोक लगाने को कहा है. हालांकि उसने कहा कि शीर्ष अदालत के अंतिम आदेश आने तक यह अस्थायी उपाय है.उल्लेखनीय है कि आठ जुलाई को सरकार ने उच्चतम न्यायालय को भरोसा दिलाया था कि ऐसी वेबसाइटों पर रोक लगाने के लिए सभी संभव कदम उठाये जाएंगे.
हालांकि, अधिकारी ने यह भी कहा कि चूंकि मामला बेहद जटिल है, ऐसे में गैर-सरकारी संगठनों, समाज, अभिभावक समूह, बच्चों को परामर्श देने वालों, आईएसपी तथा सरकार को शामिल कर मामले को विस्तार से सुना जाए और सभी के विचारों को जानने के बाद न्यायालय अपना दिशानिर्देश दे. सरकार का मानना है कि जब मामले में समुचित दिशा-निर्देश आएगा, इससे देश में स्वास्थ्यवर्धक स्थिर तत्व तैयार होंगे.
अधिकारी ने कहा, ‘सरकार को इस (अश्लील वेबसाइटों पर प्रतिबंध) पूरी प्रक्रिया से अलग रखा जाना चाहिए. राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद, उग्रवाद, सांप्रदायिकता के मामले में अंतिम रूप से निर्णय का अधिकार सरकार के पास होगा .. ‘टीवी ओम्बड्समैन’ की तरह ‘ओम्बड्समैन’ को इस बारे में निर्णय करने दीजिए.’ अधिकारी के अनुसार ओम्बड्समैन उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश या नागरिक समाज का कोई व्यक्ति हो सकता है.
सभी संबद्ध पक्ष साइबर सामग्री संबंधी मुद्दों के बारे में नियामकीय पण्राली के संदर्भ में अपने विचार दे सकते हैं. इस बीच, इस निर्णय को लेकर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गयी है. कई लोगों ने इसे इंटरनेट पर सेंसरशिप करार दिया है.पूर्व केंद्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा ने मुंबई में सोमवार को कहा कि सरकार की ओर से इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को 857 अश्लील वेबसाइट को प्रतिबंधित करने का आदेश दिया जाना देश के ‘तालिबानीकरण’ जैसा है.
देवड़ा ने ट्वीट किया, ‘और सरकार ने भारत के तालिबानीकरण की दिशा में एक और कदम उठाया है.’ कांग्रेस नेता ने कहा, ‘ताजा प्रतिबंध पॉर्न को पसंद अथवा नापंसद करने के बारे में नहीं है. यह सरकार की ओर से निजी आजादी को बंधक बना लेने के बारे में है.आगे वे क्या फोन और टीवी पर प्रतिबंध लगाएंगे.’ उधर, फिल्मकार रामगोपाल वर्मा ने अश्लील वेबसाइट पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले पर विरोध जाहिर करते हुए कहा है कि सरकार द्वारा निजी आजादी को किसी तरह से नुकसान पहुंचाना देश की सामाजिक प्रगति को पीछे की ओर ले जाना है.