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कृषि कानूनों में संभावित बदलाव को लेकर सरकार ने किसानों को भेजा प्रस्ताव

कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का प्रदर्शन 14वें दिन भी जारी है. इस बीच सरकार ने किसानों को प्रस्ताव भेजा है, जिसमें बताया गया है कि कानूनों में क्या बदलाव किया जा सकता है. किसानों ने सरकार के छठे दौर की बैठक से पहले लिखित प्रस्ताव की मांग की थी.

बता दें कि आंदोलन खत्म करने के लिए सरकार और किसानों के बीच अब तक पांच दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक इसका कोई नतीजा नहीं निकला.सरकार की ओर से आंदोलन कर रहे किसानों को लिखित प्रस्ताव भेजा गया है, जिसमें मुख्य रूप से न्यूनतम समर्थन मूल्य का जिक्र किया गया है.

इसके अलावा सरकार की ओर से प्रस्ताव में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग, मंडी सिस्टम में किसानों की सहूलियत देने और प्राइवेट प्लेयर्स पर टैक्स लगाने की बात की गई है. इसके साथ ही सरकार ने किसानों को छठे दौर की बातचीत के लिए निमंत्रण दिया है. किसान और सरकार के बीच छठे दौर की बातचीत कल सुबह 11 बजे विज्ञान भवन में हो सकती है.

कानूनों में क्या बदलाव कर सकती है सरकार​ :- 

1:- कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के कानून में अभी किसान के पास कोर्ट जाने का अधिकार नहीं है, ऐसे में सरकार इसमें संशोधन कर कोर्ट जाने के अधिकार को शामिल कर सकती है.

2:- प्राइवेट प्लेयर अभी पैन कार्ड की मदद से काम कर सकते हैं, लेकिन किसानों ने पंजीकरण व्यवस्था की बात कही. सरकार इस शर्त को मान सकती है.

3:- इसके अलावा प्राइवेट प्लेयर्स पर कुछ टैक्स की बात भी सरकार मानती दिख रही है.

4:- किसान नेताओं के मुताबिक, अमित शाह ने MSP सिस्टम और मंडी सिस्टम में किसानों की सहूलियत के अनुसार कुछ बदलाव की बात कही है.

सरकार की ओर से प्रस्ताव मिलने के बाद अब किसान नेताओं की सिंघु बॉर्डर पर बैठक होगी. इसके बाद आगे की रणनीति का ऐलान किया जाएगा. इसके साथ ही 40 किसान संगठनों की बैठक के बाद किसान इस बात का फैसला करेंगे कि सरकार के साथ आगे की वार्ता होनी है या फिर नहीं.

सरकार और किसानों के बीच आज (9 दिसंबर को) को छठे दौर की बातचीत होने वाली थी, लेकिन इस बीच मंगलवार देर शाम को उस वक्त नया मोड़ आ गया, जब अचानक केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के साथ 13 किसान नेताओं की बैठक की खबर आई. किसान नेताओं में 8 पंजाब से थे, जबकि पांच देशभर के अन्य किसान संगठनों से जुड़े थे. बैठक रात आठ बजे शुरू हुई, लेकिन यह बातचीत भी बेनतीजा रही.

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