भारत सरकार आर्मी जवानों के लिए एक लाख 66 हजार नई असॉल्ट राइफल और कारबाइन खरीदेगी। इसके लिए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में डिफेंस काउंसिल ने 3.5 हजार करोड़ के रक्षा सौदे को मंजूरी दी। नए हथियार अगले 7 साल में जवानों को मुहैया कराए जाएंगे। इसके बाद लंबी दूरी से भी LoC पर घुसपैठियों को निशाना लगाकर ढेर किया जा सकेगा।
बता दें कि आर्मी ने पिछले साल भारत में बनी एक्सकैलिबर राइफल को रिजेक्ट कर दिया था।डिफेंस एक्वजिशन पैनल ने 3,547 करोड़ का फंड मंजूर किया। इससे भारतीय सेना के जवानों के लिए 72,400 राइफल और 93,895 कारबाइन खरीदी जाएंगी। मीटिंग में हथियारों की कमी को जल्द से जल्द पूरा करने का फैसला लिया गया।
अब डिफेंस कमेटी गन्स को शॉर्टलिस्ट करने के लिए ट्रायल कराएगी। इसमें डीआरडीओ समेत दुनिभर की कंपनियों की गन्स की कैपिसिटी देखी जाएगी। इसके बाद रक्षा सौदे के लिए संबंधित कंपनियों से कॉन्ट्रैक्ट होगा। माना जा रहा है कि आने वाले 7 साल में जवानों के हाथों में नई राइफल होंगी।
बता दें कि भारतीय सेना में 11 साल पहले जवानों के लिए नए हथियार खरीदने की जरूरत महसूस की गई थी। इसके लिए केवल एक ही बार पिछले साल कोशिश हुई, लेकिन इस दौरान सिर्फ एक कंपनी ने बोली लगाई और प्रोसेस यहीं खत्म हो गई।पिछले साल आर्मी ने ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के द्वारा बनाई असॉल्ट राइफल, एक्सकैलिबर को रिजेक्ट कर दिया था। इसे इंसास राइफल (5.56mm) का रिप्लेसमेंट समझा जा रहा था।
फिलहाल, आर्मी जवानों के पास AK-47 और भारत में बनीं इंसास या स्मॉल आर्म्स सिस्टम राइफल हैं। इनमें से कुछ राइफल 1988 में जवानों को मिली थीं।इन्हें जल्द ही असॉल्ट राइफल और हाई कैपिसिटी की कारबाइन से रिप्लेस किया जाना है, ताकि जवान घुसपैठ के वक्त लंबी दूरी तक निशाना साध सकें।