संसद के दोनों सदनों में कार्यवाही सुचारू रूप से चलने की संभावना कम दिख रही है। विपक्ष के कड़े रुख को देखते हुए सरकार ने शोर-शराबे के ही बीच छह अध्यादेशों को विधेयक के रूप में पेश कर पास कराने की प्राथमिकता तय की है। अलबत्ता सरकार बैक डोर से विपक्षी दलों के साथ बातचीत कर रही है।
संसद का मॉनसून सत्र का पहला सप्ताह हंगामे की भेंट चढ़ गया। सरकार और दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों की कोशिश नाकाम रही है। विपक्ष पेगासस जासूसी मुद्दे पर जेपीसी के गठन की मांग पर अड़ा हुआ है, जबकि सरकार का मानना है कि पेगासस जासूसी कांड फेक है, इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने राज्यसभा में व्यवधान पर पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ सदस्य संविधान का सम्मान नहीं करते हैं और आश्चर्य करते हैं कि सदन के कामकाज से किसे लाभ होता है।
लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिरला ने भी बार-बार सदस्यों से कहा कि जनता ने उन्हें जनहित के मुद्दों को उठाने के लिए सदन में भेजा है, लेकिन सदस्यों ने उनकी बात को अनसुना कर दिया।सरकार के एजेंडे में छह अध्यादेशों पर पेश किए जाने वाले विधेयक हैं।
जिनमें दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक, 2021, आवश्यक रक्षा सेवा विधेयक, 2021, भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक, 2021, होम्योपैथी केन्द्रीय परिषद (संशोधन) विधेयक, 2021, एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग विधेयक, 2021 और न्यायाधिकरण सुधार (युक्तिकरण और सेवा की शत्रे) विधेयक, 2021 शामिल हैं।