गोवा में देर रात 1:45 बजे महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी (एमजीपी) का भाजपा में विलय हो गया। उसके दो विधायक- मनोहर अजगांवकर और दीपक पवास्कर ने अपनी पार्टी के भाजपा में विलय होने का पत्र विधानसभा स्पीकर का कार्यभार संभाल रहे माइकल लोबो को सौंपा।
पार्टी के कुल तीन विधायक हैं। दल बदल कानून के तहत अगर किसी पार्टी के दो तिहाई विधायक अलग होकर नई पार्टी बनाते हैं या किसी दल में शामिल होते हैं तो उन पर दल बदल कानून लागू नहीं होता। 36 सदस्यों वाले सदन में भाजपा के अब 14 विधायक हैं।
स्पीकर को सौंपे गए पत्र में एकमात्र जिस विधायक के दस्तखत नहीं हैं, वे अभी सरकार में सहयोगी दल के कोटे से उपमुख्यमंत्री सुदिन ढवलीकर हैं। स्पीकर लोबो ने एमजीपी के टूटने की पुष्टि करते हुए कहा कि दो तिहाई विधायकों ने अलग पार्टी बनाकर भाजपा में विलय कर लिया है।
संविधान के अनुसार सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं।मनोहर पर्रिकर के निधन के बाद गोवा विधानसभा के तत्कालीन स्पीकर प्रमोद सावंत को मुख्यमंत्री चुना गया था। 20 मार्च को उन्हें फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित करना था।
सरकार बचाने के लिए 19 विधायकों की जरूरत थी, सावंत को 20 विधायकों ने समर्थन दिया था। विपक्ष में 15 वोट पड़े थे।विधानसभा में भाजपा के विधायकों की संख्या 11 से बढ़कर 14 हो गई है। कांग्रेस के भी इतने ही विधायक हैं। एमजीपी 2012 से ही भाजपा की सहयोगी पार्टी रही है।
माइकल लोबो डिप्टी स्पीकर हैं। प्रदीप सावंत स्पीकर थे लेकिन पर्रिकर के निधन के बाद वह मुख्यमंत्री चुने गए। लिहाजा लोबो स्पीकर का कार्यभार संभाल रहे हैं। 40 सदस्यीय गोवा विधानसभा में इस वक्त 36 विधायक हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री पर्रिकर का 17 मार्च को और एक अन्य भाजपा विधायक फ्रांसिस डिसूजा का पिछले महीने निधन हो गया था। कांग्रेस के दो विधायकों सुभाष शिरोडकर और दयानंद सोप्टे ने पिछले साल इस्तीफा दे दिया था।