जनता दल यूनाइटेड के नेता कहते हैं कि अगर शरद यादव ने इस रैली में भाग लिया तो वह भी जानते हैं कि वैसा कर वह पार्टी के नेताओं को अपने खिलाफ कार्रवाई करने के लिए उकसा रहे हैं. शरद ने पिछले शनिवार को भी पटना में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भाग नहीं लेकर सामानांतर एक कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें मुख्य स्लोगन यही था कि महागठबंधन जारी है.
शरद जनता दल यूनाइटेड के संस्थापक अध्यक्ष रहे हैं इसलिए नीतीश कुमार उनके खिलाफ कार्रवाई करने में थोड़ा हिचक रहे थे, लेकिन उनके नजदीकी भी मानते हैं कि लालू यादव की रैली में हिस्सा लेकर सही नहीं कर रहे.जहां तक कार्रवाई का सवाल है तो रविवार को रैली में भाग लेने और हाल के दिनों में पार्टी विरोधी कार्रवाई में भाग लेने के लिए उन्हें निलंबित किया जा सकता है और साथ-साथ राज्यसभा में उनकी और अली अनवर की सदस्यता रद्द करने के लिए राज्यसभा के सभापति को तुरंत लिखा जाएगा.
पार्टी को उम्मीद है कि संविधान की 10वीं अनुसूची में सदन के बाहर के आचरण पर भी सदस्यता जाने का प्रावधान है और इससे पूर्व बीजेपी ने अपने राज्यसभा सदस्य जय नारायण निषाद और जनता दल यूनाइटेड ने उपेंद्र कुशवाहा की सदस्यता रद्द करवाई थी. शरद समर्थकों का दावा है कि इस मुद्दे पर उन्होंने भी कानूनी सलाह ले ली है और भले ही बिहार इकाई में नीतीश कुमार के सत्ता पर काबिज होने के कारण अधिकांश विधायक और सांसद उनके साथ हों लेकिन अधिकांश राज्य इकाई अभी भी शरद यादव के समर्थन में है.
वहीं नीतीश कुमार ने असली और नकली जनता दल के मुद्दे को चुनाव आयोग में घसीटे जाने की आशंका से पिछले सप्ताह की पूरी बैठक की वीडियो रिकॉर्डिंग की और सबसे शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करा लिए थे.शरद यादव ने फिलहाल साझा विरासत के तहत पूरे देश में बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने का निर्णय लिया है और कांग्रेस पार्टी ने उन्हें इसका संयोजक भी बनाया है. पिछले दिनों उनकी इस साझा विरासत की बैठक में कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई पार्टियों के नेता शामिल हुए थे.
शरद को उम्मीद है कि फिलहाल पूरे देश में बीजेपी के खिलाफ नेतृत्व का अभाव है और अगर अभी से वे कोशिश करें तो लोकसभा चुनाव तक उसका कोई न कोई परिणाम आ सकता है. जहां तक नीतीश कुमार के साथ उनके संबंधों का सवाल है तो वे अब इतने खराब हो चुके हैं कि फिलहाल एक साथ काम करने का प्रश्न नहीं. पटना के अपने कार्यक्रम में उन्होंने कहा था कि उनको अपने घर से बेदखल करने की कोशिश हो रही हैं. उसी दिन नीतीश ने पार्टी की बैठक में चुनौती दी थी कि अगर संख्या बल पर्याप्त हो तब पार्टी का विभाजन करा लें.
राजनीति के जानकार मानते हैं कि लालू यादव इस पूरे घटनाक्रम से निश्चित रूप से खुश होंगे कि जिस शरद यादव ने चारा घोटाले के बाद उनसे रिश्ता तोड़ा था वह न केवल 20 वर्षों के बाद एक बार फिर उनकी शरण में आ रहे है बल्कि नीतीश के खिलाफ अभियान में वह भी अब उनका साथ देंगे. शरद के साथ आने वाले दिनों में जनता दल यूनाइटेड के कई पूर्व विधायक और सांसद जुटेंगे, जिन्हें ये उम्मीद नहीं रहेगी कि नीतीश आने वाले दिनों में लोकसभा और विधानसभा चुनाव में उनकी टिकट का इंतजाम नहीं कर सकते है.