कांग्रेस की वरिष्ठ नेता और लखनऊ छावनी से विधायक रीता बहुगुणा जोशी बीजेपी का दामन थाम सकती हैं।प्रदेश में कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर प्रदेश में ब्राह्मण वोट बैंक को फोकस करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसी रणनीति के तहत कांग्रेस ने दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को यूपी में सीएम चेहरा बनाया।
रीता बहुगुणा जोशी ब्राह्मण समुदाय से हैं और पार्टी के ब्राह्मण चेहरों में सबसे आगे हैं। ऐसे में उनके बीजेपी के शामिल होने की आशंका को कांग्रेस के लिए झटके के तौर पर देखा जा सकता है।दरअसल रीता बहुगुणा जोशी को लग रहा है कि वो यूपी में कांग्रेस की राजनीति में हाशिए पर चली गई हैं। पार्टी ने सीएम उम्मीदवार के तौर पर शीला दीक्षित को पहले ही उतार दिया है, इसके अलावा राज बब्बर के पास यूपी कांग्रेस की कमान है।
पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी खुद खाट सभाएं, संदेश यात्रा और किसान यात्राएं करके पार्टी के प्रचार में जुटे हैं। ऐसे में रीता बहुगुणा जोशी कहीं नहीं दिख रही हैं।हालांकि रीता बहुगुणा जोशी के पहले भी पार्टी छोड़ने की कई बार खबरें सोशल मीडिया में आ चुकी हैं। लेकिन, हर बार रीता बहुगुणा जोशी ने इनका खंडन किया था। उनके समाजवादी पार्टी में जाने की अटकलें भी लगाई गई थीं।
रीता बहुगुणा जोशी एक जमीनी नेता के रूप में जाती हैं। यूपी में उन्होंने जनता से जुड़े अनेक मुद्दों पर सड़क पर संघर्ष किया और कार्यकर्ताओं के साथ आवाज बुलंद की।गौरतलब है कि रीता बहुगुणा जोशी के भाई और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा जोशी पहले ही कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी ज्वाइन कर चुके हैं।
उस समय भी रीता बहुगुणा जोशी के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें तेज हुई थीं, हालांकि उन्होंने ऐसी खबरों का खंडन किया था।इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर रहीं, रीता यूपी के पूर्व सीएम हेमवंती नंदन बहुगुणा की बेटी हैं। रीता अभी लखनऊ विधानसभा सीट से विधायक हैं।