कांग्रेस की पूर्व सांसद करुणा शुक्ला का निधन हो गया। कोरोना वायरस से संक्रमित होने के कारण 70 वर्षीय शुक्ला को पिछले दिनों अस्पताल में भर्ती कराया गया था।कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुरेंद्र शर्मा ने मंगलवार को बताया कि शुक्ला का बीती देर रात निधन हो गया।
उन्होंने कहा कि शुक्ला में कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि के बाद उनका इलाज किया जा रहा था हालांकि तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें इस महीने की 14 तारीख को रायपुर के रामकृष्ण केयर अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
शर्मा ने बताया कि अस्पताल में ही उन्होंने देर रात अंतिम सांस ली।उनका अंतिम संस्कार कोविड दिशानिर्देश के तहत बलौदाबाजार में किया जाएगा।करुणा शुक्ला के निधन पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शोक जताया है।
बघेल ने अपने शोक संदेश में कहा है कि करुणा शुक्ला से उनके बहुत आत्मीय पारिवारिक रिश्ते रहे और उनका सतत् आशीर्वाद मिलता रहा है, ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें और हम सबको उनका विछोह सहने की शक्ति दे।
वहीं उन्होंने ट्वीट कर रहा है मेरी करुणा चाची यानी करुणा शुक्ला जी नहीं रहीं। निष्ठुर कोरोना ने उन्हें भी लील लिया। राजनीति से इतर उनसे बहुत आत्मीय पारिवारिक रिश्ते रहे और उनका सतत आशीर्वाद मुझे मिलता रहा।
ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें और हम सबको उनका विछोह सहने की शक्ति।छत्तीसगढ़ भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व सांसद श्रीमती करुणा शुक्ला के आकस्मिक निधन को अपूरणीय क्षति बताते हुए गहरा शोक व्यक्त किया है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने पूर्व सांसद एवं वरिष्ठ नेत्री श्रीमती शुक्ला के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा कि अपने नाम के अनुरूप ही वे करुणा की मूर्ति थी।राजनीति से अलग करुणा जी का स्नेह हम सबको प्राप्त था।
उन्होंने कहा कि करुणा दीदी के रूप में हमने आज एक एक मुखर आवाज़, स्त्री शक्ति की एक प्रखर प्रतीक को खोया है। इस क्षति की भरपाई कठिन है। दीदी के आकस्मिक निधन से भाजपा शोकाकुल है।
पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने कहा कि एक कुशल नेत्री, अद्भुत संगठनात्मक क्षमता की धनी विधायक, सांसद के रूप में जनता की सच्ची प्रतिनिधि करुणा जी हमेशा जनहित के लिए आवाज बुलंद करती रही।
पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल जी की भतीजी होने के बावजूद भी राजनीतिक सामाजिक और संगठन के क्षेत्र में अपनी नेतृत्व क्षमता अद्भुत राजनीतिक समझ व कुशलता के दम पर अपनी अलग छवि स्थापित करने वाली नेत्री का असमय निधन हम सभी के लिए अपूरणीय क्षति है।
उन्होंने कहा कि उनके साथ काम करने का लंबा अनुभव उनकी यादों के रूप में हमेशा हमारे हृदय में जीवित रहेगा। उनके संगठनात्मक कौशल को हमने करीब से देखा है।डा.सिंह ने कहा कि भाजपा के राष्ट्रीय पदों को सुशोभित करते हुए कार्यकर्ताओं की चिंता, विधायक, सांसद के रूप में जनता की चिंता उत्कृष्ट विधायक चुना जाना उनकी कार्य कुशलता और समर्पण की भावना को दर्शाता रहा।
उन्होंने कहा कि करुणा जी मुझे राखी बाँधती थी। वे ऐसी नेत्री रही जिन्होंने सहयोगी और विरोधी दोनों ही भूमिका में कुशलता के साथ मेरा मार्गदर्शन किया। ईश्वर उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान प्रदान करें और परिजनों को यह कष्ट सहन करने की शक्ति दें।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला का जन्म एक अगस्त वर्ष 1950 में मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। उनका विवाह छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजर क्षेत्र के प्रसिध्द चिकित्सक डॉक्टर माधव शुक्ला से हुआ था।
करुणा शुक्ला ने बलौदबाजार क्षेत्र से राजनीति की शुरुआत की और वर्ष 1993 में भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर पहली बार अविभाजित मध्यप्रदेश विधानसभा के लिए चुनी गईं। बाद में वह वर्ष 2004 में जांजगीर लोकसभा क्षेत्र से सांसद भी चुनी गईं।शुक्ला छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी की कद्दावर नेता मानी जाती थीं।
वह महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष और भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जैसे पदों पर रहीं। बाद में भाजपा की राज्य इकाई और तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह से मनमुटाव के चलते वर्ष 2014 में उन्होंने भाजपा से इस्तीफा देकर कांग्रेस का दामन थाम लिया।राज्य में वर्ष 2018 में विधानसभा चुनाव के दौरान वह पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के खिलाफ राजनांदगांव विधानसभा सीट से चुनाव लड़ीं लेकिन हार गईं।