मुंबई पुलिस के पू्र्व आयुक्त परमबीर सिंह उनके खिलाफ पड़ोस के ठाणे जिले में दर्ज जबरन वसूली के एक मामले की जांच के सिलसिले में पुलिस अधिकारियों के समक्ष पेश हुए।सूत्रों ने बताया कि सिंह पूर्वाह्न साढ़े 10 बजे के करीब अपने वकील के साथ ठाणे नगर पुलिस थाना पहुंचे। उन्होंने बताया कि जांच दल संभवत: उनका बयान दर्ज करेगा।
उन्होंने यह भी बताया कि जोनल पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) अविनाश अंबुरे जांच की निगरानी के लिए थाना में मौजूद थे।ठाणे पुलिस ने इस साल जुलाई में बिल्डर केतन तन्ना की शिकायत के आधार पर सिंह और 28 अन्य के खिलाफ रंगदारी (जबरन वसूली) का मामला दर्ज किया था।
तन्ना ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि जब सिंह 2018 और 2019 में ठाणे के पुलिस आयुक्त थे, तब उन्होंने और अन्य आरोपियों ने उससे 1.25 करो़ड़ रुपये की जबरन वसूली की थी और उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी थी।
शिकायत के मुताबिक, आरोपियों ने इसी तरह से तन्ना के दोस्त सोनू जालान से भी तीन करोड़ रुपये की रंगदारी वसूली थी। इस मामले में सिंह के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था।सिंह के अलावा मामले में सेवानिवृत्त निरीक्षक प्रदीप शर्मा, निरीक्षक राजकुमार कोठमिरे और डीसीपी दीपक देवराज के नाम भी आरोपियों के तौर पर शामिल हैं।
इस मामले में अब तक दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है जिसमें से एक को कुछ दिन पहले एक अदालत से जमानत मिली थी।सिंह के खिलाफ महाराष्ट्र में जबरन वसूली के कुल पांच मामले दर्ज हैं जिनमें से दो मामले ठाणे में दर्ज हैं। ठाणे पुलिस ने इन दो मामलों की जांच के लिए विशेष जांच टीम का गठन किया है।
हाल में एक अदालत ने सिंह को भगोड़ा घोषित किया था और कई महीनों तक उनका कुछ अता-पता नहीं था। वह बृहस्पतिवार को मुंबई पहुंचे। उनके आने के बाद मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने जबरन वसूली के एक अलग मामले में उनसे सात घंटे तक पूछताछ की।
उन्हें इस साल मुंबई पुलिस के शीर्ष अधिकारी के पद से उस समय हटा दिया गया था, जब उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के पास एक एसयूवी मिलने के मामले में पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को गिरफ्तार किया गया था और कारोबारी मनसुख हिरन की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई थी। एंटीलिया के पास मिले वाहन में विस्फोटक बरामद हुए थे। उच्चतम न्यायालय ने कुछ दिन पहले ही सिंह को गिरफ्तारी से संरक्षण दिया था।