उच्चतम न्यायालय ने लालू प्रसाद यादव को बड़ा झटका देते हुए कहा कि उन्हें करोड़ों रुपयों के चारा घोटाले से जुड़े हर उस मामले में अलग सुनवाई का सामना करना होगा जिसमें वह आरोपी हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर वह दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें अलग अलग सजा हो सकती है. घोटाले से जुड़े 64 मामलों में से यादव छह मामलों में आरोपी हैं और एक अप्रैल 1994 से 31 जनवरी 1995 के बीच झारखंड में आने वाले चाईबासा कोषागार से 37.70 करोड़ रुपये धोखाधड़ी से निकालने से जुड़े एक मामले में पहले ही दोषी ठहराए जा चुके हैं.
उनके खिलाफ जिन अन्य मामलों को पूरा किया जाना है उसमें रांची के चाईबासा, दुमका और पटना के कोषागार से जुड़े मामले शामिल हैं.शीर्ष अदालत ने सोमवार को देवघर कोषागार से जुड़े मामले में यादव को आरोपमुक्त करने के झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश को निरस्त किया जहां 1991 से 1994 के बीच 250 वाउचरों और 17 फर्जी आवंटन पत्रों की मदद से 85 लाख रुपये का गबन किया गया.
न्यायालय ने निचली अदालत को कार्यवाही नौ महीने के अंदर पूरी करने का निर्देश दिया.राजद प्रमुख के अलावा, इस मामले में 37 अन्य आरोपी हैं. शीर्ष अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव सजल चक्रवर्ती के खिलाफ उच्च न्यायालय का आदेश भी निरस्त किया जिनके खिलाफ इसी आधार पर कार्यवाही पर रोक लगाई गई थी.
पीठ ने उनकी इस दलील को खारिज किया कि समान तथ्यों और परिस्थितियों वाले हर मामले की अलग सुनवाई नहीं हो सकती. पीठ ने कहा कि अपराध का तरीका समान होना इसे एक अपराध नहीं बनाता जबकि अपराध अलग अलग हैं.झारखंड उच्च न्यायालय ने यादव के खिलाफ एक, मिश्रा के खिलाफ चार और चक्रवर्ती के खिलाफ दो मामले निरस्त किये थे.
सीबीआई ने चारा घोटाले के संबंध में कुल 64 मामले दर्ज किये थे जिसमें 52 मामले वे हैं जिनमें झारखंड में आने वाले सरकार के कोषागार से बड़े पैमाने पर धन निकाला गया था.सीबीआई ने झारखंड उच्च न्यायालय के 2014 के उस आदेश को चुनौती दी थी जिसमें उच्च न्यायालय ने लालू के खिलाफ लंबित चार चारा घोटाला मामलों को इस आधार रद्द कर दिया था कि एक मामले में दोषी ठहराए गए एक व्यक्ति के खिलाफ ऐसे मिलते जुलते मामलों में उन्हीं गवाहों और साक्ष्यों के आधार पर सुनवाई नहीं की जा सकती.
उच्च न्यायालय ने निचली अदालत में अन्य आरोप को छोड़ कर दो धाराओं के तहत यादव के खिलाफ कार्रवाई जारी रखने की मांग वाली सीबीआई की याचिका को 14 नवंबर 2014 को बरकरार रखा था.वर्ष 1996 में सामने आए इस मामले में लालू यादव के अलावा कुल 47 आरोपी थे लेकिन लंबे समय से चल रही अदालती कार्यवाही के दौरान 15 आरोपियों की मौत हो गई जबकि सीबीआई ने दो आरोपियों को सरकारी गवाह बना लिया है.
इसी मामले में एक अन्य आरोपी के खिलाफ मामले को झारखंड हाईकोर्ट खारिज कर चुका है. कुल मिलाकर अब दुमका कोषागार से जुड़े इस मामले में केवल 29 आरोपी बचे हैं जिनमें कुछ पूर्व आईएएस अधिकारी भी शामिल हैं.नब्बे के दशक में बिहार में लालू प्रसाद यादव के मुख्यमंत्री काल में हुए लगभग साढ़े नौ सौ करोड़ रुपये के चारा घोटाले में दुमका कोषागार से तीन करोड़, 31 लाख रुपये फर्जी ढंग से निकालने से जुड़े आरसी 38ए-96 के एक मामले में राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को सोमवार (13 जून) को रांची के सीबीआई के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह की अदालत में पेश होना पड़ा था.
लालू यादव को पहले ही चारा घोटाला मामले में दोषी ठहराया जा चुका है. उन्हें अक्टूबर 2013 में पांच साल कैद की सजा सुनाई गई थी. वह फिलहाल, जमानत पर बाहर हैं. कांग्रेस के पूर्व नेता जगन्नाथ मिश्रा इस समय जद(एकी) के साथ हैं. उनके खिलाफ दर्ज चारा घोटाले से जुड़े पांच मामलों में से एक मामले में 2013 में उन्हें निचली अदालत ने दोषी करार दिया था. सीबीआइ का दावा है कि हालांकि ये मामले चारा घोटाले से ही निकले हैं लेकिन इनकी प्रकृति भिन्न-भिन्न है क्योंकि इसमें अलग-अलग कोषों की अलग-अलग राशियां शामिल थीं.
इस मामले का खुलासा वर्ष 1996 में हुआ. इसमें लालू यादव के अलावा कुल 47 आरोपी थे, लेकिन लंबे समय से चल रही अदालती कार्यवाही के दौरान 15 आरोपियों की मौत हो चुकी है. सीबीआई ने दो आरोपियों को सरकारी गवाह बना लिया है, जबकि इसी मामले में एक अन्य आरोपी को झारखंड उच्च न्यायालय से राहत मिल चुकी है. कुल मिलाकर अब दुमका कोषागार से जुड़े इस मामले में केवल 29 आरोपी बचे हैं, जिनमें कुछ पूर्व आईएएस अधिकारी भी शामिल हैं.