वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के लिये वित्त वर्ष 2022-23 का 1.42 लाख करोड़ रूपये का बजट पेश किया।विपक्ष ने सरकार से मांग की कि बजट प्रस्तावों के अध्ययन के लिये उन्हें पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए।सीतारमण ने निचले सदन में जम्मू कश्मीर के लिये वित्त वर्ष 2021-22 के लिए अनुदान की अनुपूरक मांग भी पेश कीं जो 18,860.32 करोड़ रूपये की हैं।
उन्होंने इसके साथ एक प्रस्ताव भी पेश किया जिसमें कुछ नियमों को निलंबित करके सदन में इसे पेश किये जाने के दिन ही चर्चा शुरू करने की अनुमति देने की बात कही गई है।प्रस्ताव का विरोध करते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि बजट की जांच परख एवं चर्चा करना इस सदन की बुनियादी जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा नहीं है, ऐसे में इस पर चर्चा करने की जिम्मेदारी इस सदन की है।उन्होंने सवाल किया कि जब सदस्यों के पास बजट से जुड़ा कोई कागज नहीं है तो फिर किस चीज पर चर्चा होगी? तिवारी ने कहा कि इस पर कल चर्चा होनी चाहिए और आसन को इस बारे में व्यवस्था देनी चाहिए।
आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन ने कहा कि नियम में 205 बहुत स्पष्ट है कि बजट को पेश करने के दिन इस पर चर्चा नहीं होगी और संविधान में इसका प्रावधान है। उन्होंने कहा कि सदस्यों के पास बजट की कोई प्रति नहीं है तो वे कैसे देखेंगे कि जम्मू-कश्मीर का हित सुनिश्चित हो।
इस पर पीठासीन सभापति राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि अगर यह विषय एजेंडे में शामिल है जो इसकी लोकसभा अध्यक्ष ने मंजूरी दी होगी।
इसके बाद सदन ने ध्वनिमत से इस नियमों में छूट देने के प्रस्ताव को मंजूरी दी।