भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर संयुक्त राज्य अमेरिका के अपने 10 दिवसीय दौरे की शुरूआत कर रहे हैं, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की रुकी हुई सुधार प्रक्रिया और भारत के साथ स्थिर द्विपक्षीय संबंधों में नई जान फूंकने के एक और प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। यूक्रेन पर मतभेदों और पाकिस्तान के एफ-16 लड़ाकू विमानों के लिए बड़े पैमाने पर रखरखाव पैकेज की वजह से हो रही कई तरफ की चर्चाओं को भी विराम मिलेगा।
जयशंकर यात्रा का पहला और लंबा हिस्सा न्यूयॉर्क में बिताएंगे, संयुक्त राष्ट्र महासभा की वार्षिक उच्च स्तरीय बैठकों में भाग लेंगे और ब्रिक्स (ब्राजील, चीन और दक्षिण अफ्रीका के साथ), जी-4 (जापान, जर्मन और ब्राजील के साथ), आईबीएसए (ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका के साथ), सार्क (अन्य सभी दक्षिण एशियाई देशों के साथ) द्विपक्षीय और बहुपक्षीय में समकक्षों से मुलाकात करेंगे
मंत्री अपने समकक्ष एंटनी ब्लिंकेन और जो बाइडेन प्रशासन के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों सहित द्विपक्षीय बैठकों के लिए दौरे के दूसरे और अंतिम चरण के लिए 25 सितंबर को वाशिंगटन डीसी जाएंगे। वह उद्योग जगत के नेताओं और भारतीय अमेरिकियों से भी मुलाकात करेंगे।जयशंकर की यूएनजीए बैठकों का मुख्य आकर्षण एशिया, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, कैरिबियन और छोटे द्वीप एल69 नामक विकासशील देशों के एक समूह में उनका संबोधन होगा, जो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार पर केंद्रित है।
बैठक बहुपक्षवाद को फिर से मजबूत करना और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के व्यापक सुधार को प्राप्त करना विषय पर आधारित होगी। अंतर सरकारी वार्ता के रूप में औपचारिक चर्चा शुरू होने के बाद से यूएनएससी सुधार प्रक्रिया बहुत धीमी गति से आगे बढ़ी है। कुलीन क्लब का अंतिम विस्तार 1965 में चार गैर-स्थायी सीटों के साथ हुआ, कुल मिलाकर 15 – पांच स्थायी सदस्य और 10 गैर-स्थायी सदस्य हैं।
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने पिछले हफ्ते संवाददाताओं से कहा, हम अपने पी3 सहयोगियों (अन्य दो स्थायी सदस्यों फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम के साथ) के साथ-साथ अन्य लोगों के साथ चर्चा करेंगे। राष्ट्रपति अपने भाषण में इस पर कुछ और प्रस्तुत करेंगे। सचिव ब्लिंकन इस सप्ताह प्रतिबद्धताओं और इस प्रक्रिया को आगे बढ़ने के तरीके पर भी चर्चा करेंगे।
जयशंकर सार्क मंत्रियों के सम्मेलन में अपने पाकिस्तानी समकक्ष बिलावल भुट्टो से पहली बार मिल सकते हैं। वैसे मुलाकात की संभावना कम ही हैं। वाशिंगटन में, जयशंकर का अपने समकक्ष ब्लिंकन और अन्य लोगों से यूक्रेन पर हालिया मतभेदों और पाकिस्तान को अपने एफ-16 को तैयार करने के लिए 450 मिलियन डॉलर के प्रस्तावित अमेरिकी सहायता पैकेज की मामले में मिलने का कार्यक्रम है।
अमेरिका ने भारत पर रूसी आक्रमण की निंदा करने और रूस से अपनी तेल खरीद में वृद्धि नहीं करने के लिए दबाव डाला था ताकि मास्को को पश्चिम द्वारा लगाए गए गंभीर आर्थिक प्रतिबंधों से कोई राहत न मिल सके। लेकिन भारत ने ऐसा कुछ नहीं किया। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने समरकंद में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन के मौके पर अपनी हालिया बैठक के दौरान सार्वजनिक रूप से रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा, आज का युग युद्ध का नहीं है।
पाकिस्तान के एफ-16 विमानों के लिए 45 करोड़ डॉलर के अमेरिकी पैकेज की भारत ने निंदा की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने समकक्ष लॉयड ऑस्टिन को एक टेलीफोन कॉल में सरकार की चिंता से अवगत कराया था। अमेरिका ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया। जयशंकर को अमेरिका के साथ भारत के संबंधों का अनुभव हैं। भारत के शीर्ष राजनयिक की ओर से अगले 10 दिन कूटनीति में एक और मास्टरक्लास साबित हो सकते हैं।