ईपीएफओ ने सरकार से पीएफ की ब्याज दर .10 फीसदी घटा कर 8.55 फीसदी करने की सिफारिश की है। अभी ईपीएफ पर 8.65 फीसदी ब्याज मिल रहा है। लेबर मिनिस्टर संतोष गंगवार ने उम्मीद जताई कि वित्त मंत्रालय उनकी यह सिफारिश मंजूर कर लेगा। बुधवार को ट्रेड यूनियन के मेंबर्स और ईपीएफओ के सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टी (सीबीटी) की बैठक हुई।
बैठक में इम्पलाईज प्रॉविडेंट फंड पर ब्याज दर समेत कई मसलाें पर चर्चा की गई।ट्रेड यूनियन हिंद मजदूर सभा के प्रेसिडेंट और सीबीटी मेंबर एडी नागपाल ने बताया ईपीएफओ सरप्लस रखना चाहता है। इसलिए ब्याज दर घटाने की सिफारिश की गई है। ईपीएफओ ने पिछले साल 700 करोड़ रुपए सरप्लस रखा था।
हमारी मांग थी कि ब्याज दर को 8.65 फीसदी पर बनाए रखा जाए, तब भी 48 करोड़ सरप्लस रहता। लेकिन, सरकार ने हमारी मांग नहीं मानी।लेबर मिनिस्टर ने बताया EPFO बोर्ड ने एडमिनेस्ट्रेटिव चार्ज को भी घटा दिया है। इसमें 0.5 की कमी की गई है। उन्होंने आशा जताई ईपीएफ के पास 586 करोड़ रुपए का सरप्लस अमाउंट 2007-18 के दौरान रहेगा।
EPF ने Bharat-22 ETF में 20.25 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया है।ईपीएफ पर ब्याज दर सीबीटी तय करती है। सीबीटी ब्याज दर तय करने में ईपीएफओ के निवेश पर मिले रिटर्न को आधार बनाती है। लेकिन, इस पर वित्त मंत्रालय की मंजूरी जरूरी है। वित्त मंत्रालय चाहता है कि स्माल सेविंग स्कीमों पर ब्याज दर और ईपीएफ ब्याज दर में ज्यादा अंतर न रहे।
वित्त मंत्रालय की मंजूरी के बाद ही लेबर मिनिस्ट्री 20117-18 के लिए ईपीएफ ब्याज दर पर नोटिफिकेशन जारी करेगी।गंगवार के मुताबिक बांड में निवेश पर ईपीएफओ को 8% रिटर्न मिला है। जनवरी-फरवरी में एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) में 3,700 करोड़ रुपए का निवेश बेचा गया है। इस पर 1,011 करोड़ का रिटर्न मिला है। इससे अंशधारकों को 8.55% ब्याज दिया जा सकेगा।
ईपीएफओ ने अगस्त 2015 में ईटीएफ में निवेश करना शुरू किया था। अब तक इसमें 44,000 करोड़ रुपए लगा चुका है।गंगवार के मुताबिक, ईपीएफओ के लिए किसी भी ऑर्गनाइजेशन में कर्मचारियों की न्यूनतम संख्या 20 से घटाकर 10 की गई है। इससे पीएफ अंशधारकों की संख्या 6 करोड़ से बढ़कर 9 करोड़ हो जाएगी।