दिल्ली नगर निगम का उप चुनाव आप और भाजपा के लिए साख का सवाल है. इस सेमीफाइनल मुकाबले में भाजपा और आप की प्रतिष्ठा दांव पर है.हालांकि भाजपा और आप ने इस उप चुनाव को रणनीतिक तौर पर हाईप नहीं दिया है. केजरीवाल को भी पता है कि विधानसभा चुनाव जैसा माहौल उनके पक्ष में नहीं है और भाजपा को भी कमोवेश यहीं अंदाजा है, लेकिन 13 सीटों के लिए होने वाले उप चुनाव से केंद्र व दिल्ली सरकार की लोकप्रियता का आंकलन किया जा सकेगा.
यहां कांग्रेस की चर्चा इसलिए नहीं किया जा रहा है, क्योंकि वह अपने वजूद की लड़ाई लड़ रही है. 13 में से कांग्रेस को एक सीट पर भी जीत हासिल होती है तो वह उसके लिए खुशी की बात होगी. बहरहाल आज चुनाव प्रचार का आखिरी दिन था. सभी प्रमुख पार्टियों जमकर चुनाव प्रचार किया है. रविवार को मतदान होगा.
दिल्ली नगर निगम की 13 सीटों पर उप चुनाव रविवार को होगा. वैसे तो उप चुनाव के लिए भाजपा और आप ने कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखायी है. अलबत्ता उप चुनाव कराए जाने को लेकर कांग्रेस ने जरूर तेजी दिखायी. उप चुनाव में 3 पूर्व विधायक भाजपा की ओर से प्रत्याशी बनाए गए हैं. हालांकि 3 पूर्व विधायक जो कभी रसूखदार पाषर्द हुआ करते थे वे चुनाव लड़ने से भाग गए. जबकि पार्टी हर हाल में चुनाव जीतने के लिए उन्हें भी उम्मीदवार बनाना चाह रही थी.
बहरहाल सभी 13 सीटों पर भाजपा और आप के बीच कांटे की टक्कर बतायी जा रही है. तेहखंड वार्ड में चुनावी मुकाबला दिलचस्प है. यहां से पूर्व पाषर्द सहीराम आप से विधायक है और तुगलकाबाद गांव के निवासी रमेश बिधूड़ी दक्षिणी दिल्ली से भाजपा सांसद है. इस सीट पर सांसद व विधायक की प्रतिष्ठा दांव पर है.
हार-जीत का फैसला झुग्गी बस्ती पर निर्भर (13 सीटों के लिए होने वाले उप चुनाव का नतीजा झुग्गी बस्ती पर निर्भर) करेगा. 13 में से करीब 8 वार्ड में झुग्गी-झोपड़ी में रहने वाले लोगों की संख्या अधिक है. एक अनुमान के मुताबिक तेहखंड वार्ड में 10 से 12 हजार झुग्गियां हैं. शालीमार बाग में करीव 8 हजार झुग्गियां हैं.झिलमिल व भाटी वार्ड में 4-4 हजार झुग्गियां हैं. नानकपुरा में साढ़े तीन हजार झुग्गियां हैं. खिचड़ीपुर वार्ड में ढाई हजार झुग्गियां हैं. विकासपुरी वार्ड में दो हजार व वजीरपुर वार्ड में एक हजार झुग्गियां हैं.