कोरोना के खिलाफ जंग में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की नई दवा उम्मीद की किरण लेकर आई है. इसी कड़ी में आज रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन की ओर से विकसित कोरोना की दवा 2-डीजी की पहली खेप लॉन्च की गई.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने दवा को हरी झंडी दिखा दी है. सरकार के दावों के मुताबिक, यह दवा अस्पताल में भर्ती कोविड मरीजों की तेजी से रिकवरी में मदद करता है.लॉन्चिंग के बाद अगले एक-दो दिनों में यह मरीजों को मिलने लग जाएगी.
इस दवा को डॉ रेड्डी लेबोरेटरी की मदद से तैयार किया गया है. हैदराबाद की डॉक्टर रेड्डीज लैब में इसकी 10 हजार डोज़ बनकर तैयार हो गई है.अप्रैल 2020 में आईएनएमएएस-DRDO के वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में कोरोना महामारी को लेकर बनाई गई दवा के कई परीक्षण किए.
उन्होंने पाया कि यह दवा सार्स-सीओवी-2 वायरस के खिलाफ प्रभावी ढंग से काम करती है और वायरस को बढ़ने से रोकती है. मई 2020 में कोविड मरीजों में 2-डीजी के चरण-2 के नैदानिक परीक्षण की अनुमति दी गई और मई से अक्टूबर 2020 के दौरान किए गए दूसरे चरण के परीक्षणों में दवा सुरक्षित पाई गई और उनकी रिकवरी में महत्वपूर्ण सुधार दिखा.
फेज-2 में 110 मरीजों का ट्रायल किया गया है.रक्षा मंत्रालय का कहना है कि कोविड-19 की चल रही दूसरी लहर की वजह से बड़ी संख्या में मरीजों को ऑक्सीजन और अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ रही है. ये दवा ऑक्सीजन की निर्भरता को कम करने में सहायक होगी.
इस दवा का नाम 2-डीऑक्सि-डी-ग्लूकोज है. DRDO की यह दवा ऐसे समय में आई है जब कोरोना की तीसरी लहर की बात हो रही है. अच्छी बात यह है कि 2-डीजी दवा पाउडर के रूप में पैकेट में आती है और इसे पानी में घोल कर पीना होता है.
दवा के असर की बात की जाए तो जिन लक्षण वाले मरीजों का 2डीजी से इलाज किया गया वे मानक इलाज प्रक्रिया (एसओसी) से पहले ठीक हुए.यह दवा कोरोना के सामान्य से गंभीर मरीजों को दी जा सकती है. 2-डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज दवा मरीजों को तेजी से ठीक होने में मदद करेगी और ऑक्सीजन पर निर्भरता को कम करेगी.
कोविड-19 के खिलाफ कैसे काम करती है 2DG?
- 2डीजी असल में 2डीजी अणु का एक परिवर्तित रूप है जिससे ट्यूमर, कैंसर कोशिकाओं का इलाज होता है.
- ट्रायल में पता चला कि 2DG कोविड मरीजों के इलाज में तो कारगर है ही, हॉस्पिटल में एडमिट मरीजों की ऑक्सिजन पर निर्भरता को भी कम करती है.
- फिलहाल इस दवा को सेकेंडरी मेडिसिन की तरह यूज करने की परमिशन दी गई है. यानी यह प्राइमरी मेडिसिंस के सपोर्ट में यूज की जाएगी.
- यह दवा काफी हद तक ग्लूकोज जैसी है, मगर ग्लूकोज नहीं है.
- वायरस शरीर में पहुंचते ही अपनी कॉपीज बनाना शुरू कर देता है, इसके लिए उसे ताकत चाहिए होती है जो ग्लूकोज से मिलती है.
- जब यह दवा दी जाएगी तो वायरस इस ग्लूकोज एनालॉग को लेगा और उसी में फंस जाएगा.
- नतीजा ये होगा कि वायरस अपनी कॉपीज नहीं बना पाएगा यानी उसकी ग्रोथ रुक जाएगी.
रक्षा मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में बताया था कि कोविड-19 के मध्यम और गंभीर लक्षण वाले मरीजों पर इस दवा के आपातकालीन इस्तेमाल को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया की ओर से मंजूरी मिल चुकी है.
आपको बता दें कि कोरोना के नए मामलों में लगातार हो रही बढ़ोतरी को देखते हुए डीसीजीआई ने इस दवा के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी थी. आज डीआरडीओ के मुख्यालय में दोनों केंद्रीय मंत्रियों ने इस दवा की पहली खेप को लांच किया.