डोकलाम विवाद पर जापान ने भारत का सपोर्ट किया है। जापान ने कहा है कि किसी भी देश को जोर-जबर्दस्ती से इलाके की यथास्थिति (status quo) में बदलाव की कोशिश नहीं करनी चाहिए। बता दें कि सिक्किम सेक्टर में भूटान ट्राइजंक्शन के पास चीन एक सड़क बनाना चाहता है। भारत और भूटान इसका विरोध कर रहे हैं। करीब 2 महीने से इस इलाके में भारत और चीन के सैनिक आमने-सामने हैं।
भारत में जापान के एम्बेसडर केनजी हिरामात्सु ने नई दिल्ली के सामने इस मुद्दे पर टोक्यो की स्थिति साफ की है। उन्होंने ये भी कहा हम मानते हैं कि डोकलाम भूटान और चीन के बीच विवादित क्षेत्र है और दोनों देश बातचीत कर रहे हैं। हम ये भी समझते हैं कि भारत की भूटान के साथ एक ट्रीटी है और इसी वजह से भारतीय सैनिक इलाके में मौजूद हैं।
बता दें कि जापान का नजरिया वहां के पीएम शिंजो आबे के भारत दौरे से पहले आया है। आबे 13 से 15 सितंबर तक भारत दौरे पर आने वाले हैं।केनजी भूटान में भी जापान के एम्बेसडर हैं। उन्होंने अगस्त की शुरुआत में भूटान के पीएम शेरिंग तोबगे से मुलाकात की थी और उन्हें भी इस मसले पर जापान के रुख की जानकारी दी थी।
भूटान सरकार ने 29 जून को एक प्रेस रिलीज जारी कर डोकलाम विवाद पर अपना पक्ष रखा था। भूटान ने कहा था हमारे क्षेत्र में सड़क बनाना सीधे तौर पर समझौते का वॉयलेशन है, जिससे दोनों देशों के बीच बाउंड्री तय करने के प्रॉसेस पर असर पड़ सकता है।जापान से पहले अमेरिका ने भी इस मुद्दे पर अपनी स्थिति साफ की थी।
अमेरिका ने कहा है कि भारत-चीन को डोकलाम विवाद के हल के लिए बातचीत की मेज पर आना चाहिए। अमेरिका ने जमीन पर एकतरफा बदलाव को लेकर चीन को सतर्क भी किया था। ऐसा कर यूएस ने भारत के नजरिये का सपोर्ट किया था।ये विवाद 16 जून को तब शुरू हुआ था, जब इंडियन ट्रूप्स ने डोकलाम एरिया में चीन के सैनिकों को सड़क बनाने से रोक दिया था।
हालांकि चीन का कहना है कि वह अपने इलाके में सड़क बना रहा है।इस एरिया का भारत में नाम डोका ला है जबकि भूटान में इसे डोकलाम कहा जाता है। चीन दावा करता है कि ये उसके डोंगलांग रीजन का हिस्सा है। भारत-चीन का जम्मू-कश्मीर से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3488 km लंबा बॉर्डर है। इसका 220 km हिस्सा सिक्किम में आता है।
नई दिल्ली ने चीन से कहा है कि चीन के सड़क बनाने से इलाके की मौजूदा स्थिति में अहम बदलाव आएगा, भारत की सिक्युरिटी के लिए ये गंभीर चिंता का विषय है। रोड लिंक से चीन को भारत पर एक बड़ी मिलिट्री एडवान्टेज हासिल होगी। इससे नॉर्थइस्टर्न स्टेट्स को भारत से जोड़ने वाला कॉरिडोर चीन की जद में आ जाएगा।
भारत ने डोकलाम से अपनी सेनाएं बिना शर्त वापस बुलाने की चीन की मांग ठुकरा दी है। इंडियन फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन गोपाल बागले ने कहा था हमने डोकलाम मसले पर अपना नजरिया और रास्ता खोजने के तरीके को चीन के सामने साफ कर दिया है।
सीमा के मसले को निपटाने के लिए दोनों देशों के बीच पहले से एक सिस्टम बना हुआ है और मौजूदा विवाद को लेकर भी हमें उसी दिशा में आगे बढ़ना होगा। इंटरनेशनल कम्युनिटी ने इस बात का सपोर्ट किया है कि इस मुद्दे का हल बातचीत से होना चाहिए। हमने इंटरनेशनल लेवल पर अपने नजरिए को साफ कर दिया है।