दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को अपनी जांच में पता चला है कि 13 से 24 मार्च के बीच निजामुद्दीन के मरकज में करीब 15 हजार से ज्यादा लोग गए थे. पुलिस ने मोबाइल फोन डेटा के इस्तेमाल और लोकेशन ट्रेसिंग से ये पता लगाया है.
दिल्ली पुलिस ने स्वस्थ विभाग से मिलकर ये पता लगाया कि ये लोग किन-किन जगहों पर गए, कितने लोगों के संपर्क में आए. उन हजारों लोगों की भी लिस्ट बनाई गई है, पता चलते ही उन सभी को सेल्फ कोरेनटाइन में भेज दिया था.
जितने लोग पॉजिटिव पाए गए थे, उनको आइसोलेशन सेंट्रर में रखा गया था. जांच रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि मरकज से निकले लोगों के द्वारा करीब 17 राज्यों हर केंद्र शासित प्रदेशो में कोरोना संक्रमण फैलाने का लिंक पाया गया है.
रिपोर्ट में लिखा गया है कि मौलाना साद ने जमातियों की संख्या और लोकेशन की गलत जानकारी दी गई थी. ये जांच रिपोर्ट और इसमें लिखी बातें मौलाना साद के खिलाफ सबूत के तौर पर रखी जाएंगी.
ये तमाम सबूत दिल्ली पुलिस एक रिपोर्ट के जरिये केंद्र सरकार को भेज देगी. जांच रिपोर्ट तैयार करने में दिल्ली पुलिस की अलग-अलग कई यूनिटों और स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने साथ मिलकर काम किया है.
दिल्ली पुलिस को जानकारी मिली है कि मरकज में 13 से 24 मार्च के बीच काफी सारे तबलीगी जमात से जुड़े हुए लोग आए थे. काफी विदेशी भी थे, जिसमें सबसे ज्यादा लोग इंडोनेशिया के थे, क्योंकि इंडोनेशिया पहले हिंदू राष्ट्र था जो अब इस्लामिक देश बन गया है.
उस देश मे इस्लाम के प्रचार-प्रसार के लिए सबसे ज्यादा लोग भारत आते हैं क्योंकि भारत की वीजा पॉलिसी इंडोनेशिया से काफी ज्यादा उदार है.
दिल्ली पुलिस अब इस बात को लेकर भी जांच कर रही है कि इंडोनेशिया ने टूरिस्ट वीजा पर भारत आए जामतियों ने मरकज में जाकर धार्मिक स्पीच को सुनकर, वीज़ा उलंघन तो नहीं किया है.