कर्नाटक में चुनावी प्रचार को लेकर राहुल गांधी ने नोटबंदी पर केंद्र को घेरा

कर्नाटक में चुनावी प्रचार पर निकले राहुल गांधी ने आज अपनी सभाओं में केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि केंद्र में बीजेपी की नहीं बल्कि आरएसएस की सरकार चल रही है. देश की हर संस्थान पर संघ का कब्जा है. यहां तक कि संघ के कहने पर ही सरकार फैसले ले रही है. राहुल गांधी ने कहा कि नोटबंदी का फैसला भी संघ के इशारों पर किया गया था.

राहुल कुलबर्गा में थे और यहां उन्होंने कारोबारियों और पेशेवरों से मुलाकात के दौरान ये बातें कहीं. राहुल ने कहा आपको पता है कि नोटबंदी का विचार कहां से आया? आपको पता है कि नोटबंदी का विचार प्रधानमंत्री को किसने दिया? आरबीआई ने नहीं, अरुण जेटली (वित्त मंत्री) ने नहीं, वित्त मंत्रालय के किसी अधिकारी ने भी नहीं.

आरएसएस के एक खास विचारक ने यह विचार दिया. उन्होंने आगे कहा अब आप कल्पना कर सकते हैं कि आरएसएस प्रधानमंत्री को विचार देता है और प्रधानमंत्री उस विचार पर अमल भी कर देते हैं.राहुल ने कहा कि आरएसएस और भाजपा के काम करने का तरीका यही है. उन्होंने कहा कि आरएसएस और भाजपा के लोगों को लगता है कि वे ही सब कुछ जानते हैं और फिर ऐसे विनाशकारी फैसले ले रहे हैं.

उन्होंने कहा कि एक बच्चा भी कहेगा कि 500 और 1000 रुपए के नोटों को बर्बाद करना अच्छा विचार नहीं था, क्योंकि इससे भ्रष्टों को अपना काला धन सफेद कराने का मौका मिल गया. उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि मोदी सरकार के मंत्री स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर रहे, क्योंकि हर मंत्रालय में आरएसएस के लोग बिठा दिए गए हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भारत के हर एक मंत्रालय में राष्ट्रीय स्तर पर एक ओएसडी (विशेष कार्य अधिकारी) है जो आरएसएस से है और मंत्री के साथ काम कर रहा है. भारत के हर मंत्रालय में आरएसएस का एक आदमी है जो मंत्री के साथ काम कर रहा है. मंत्री अपने मन से काम नहीं कर रहे. उन्होंने कहा कि मंत्रियों को आरएसएस से निर्देश मिलते हैं कि उन्हें क्या करना है. 

उन्होंने कहा तरीका ये है कि कब्जा करो, तरीका ये है कि एक संस्था है और आओ इस पर कब्जा करें, यह किसी संस्था को भारत के लोगों की सेवा करने देने और उसे भारत के लोगों के नियंत्रण में होने देने के खिलाफ है.राहुल ने कहा कि कांग्रेस इस विचार को मानती है कि संस्थाओं पर लोगों का नियंत्रण होना चाहिए. उन्होंने कहा कि राजनीतिक पार्टी का काम राजनीतिक प्रणाली को चलाना है, न कि किसी संस्था पर कब्जा कर उसे चलाना और उसे अपनी आस्था के मुताबिक आकार देना.

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