एनजीटी ने समूची राष्ट्रीय राजधानी में 50 माइक्रोन से भी कम मोटाई वाले अक्षरणीय प्लास्टिक की थैलियों के इस्तेमाल पर अंतरिम प्रतिबंध लगा दिया. एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह भी घोषणा की कि अगर किसी व्यक्ति के पास से इस तरह के प्रतिबंधित प्लास्टिक बरामद होते हैं तो उसे 5,000 रुपये की पर्यावरण क्षतिपूर्ति देनी होगी.
अधिकरण ने दिल्ली सरकार को भी एक सप्ताह के अंदर ऐसे प्लास्टिक के समूचे भंडार को जब्त करने का निर्देश दिया है. पीठ ने आम आदमी पार्टी शासित दिल्ली सरकार और दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को किसी वरिष्ठ अधिकारी के जरिये एक हलफनामा दायर करने और शहर में कचरा प्रबंधन विशेषकर प्लास्टिक के संदर्भ में निर्देशों को कैसे लागू किया जा रहा है, इस बारे में सूचित करने के लिए कहा.
हरित पैनल ने एक जनवरी 2017 से प्रभावी अपने आदेश में पिछले साल दिल्ली एवं एनसीआर में डिस्पोजेबल प्लास्टिक के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया था और दिल्ली सरकार को डम्प किये हुए कचरे को कम करने के संबंध में कदम उठाने का निर्देश दिया था. अधिकरण ने इससे पहले 31 जुलाई को रोक के बावजूद राष्ट्रीय राजधानी में प्लास्टिक के अंधाधुंध एवं बेहिसाब इस्तेमाल पर दिल्ली सरकार को फटकार भी लगाई थी.
पीठ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वह शहर में सख्ती से इसके प्रतिबंधों को लागू करे और इस मुद्दे पर स्थिति रिपोर्ट मांगी थी.एनजीटी ने समूचे शहर में विशेषकर होटलों, रेस्तराओं और सार्वजनिक एवं निजी कार्यक्रमों में डिस्पोजेबल प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाई थी, जबकि दिल्ली सरकार से इस साल एक जनवरी से ऐसी सामग्री के भंडारण, बिक्री तथा इस्तेमाल के खिलाफ समुचित कदम उठाने के लिए कहा था.