दिल्ली उच्च न्यायालय ने बेटी से बार-बार बलात्कार करने वाले एक व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. न्यायालय ने कहा कि लड़की की रक्षा करने की बजाय उसने अमानवीय कृत्य किया. न्यायालय की एक खंडपीठ ने कहा कि व्यक्ति किसी तरह की नरमी का हकदार नहीं है क्योंकि उसने अपनी ही नाबालिग बेटी के साथ ऐसा कृत्य किया.
पीठ ने पीड़िता की गवाही पर यकीन करते हुए कहा कि कोई ऐसा कारण नहीं बनता कि बच्ची अपने ही पिता के खिलाफ झूठा बयान दे और इस संगीन अपराध के लिए उस पर आरोप लगाना आसान नहीं था.न्यायालय ने कहा कि पीड़िता ने लंबे समय तक शिकायत दर्ज नहीं कराई और चुप रही. मां के घर पर नहीं होने रहने पर बच्ची के साथ कई बार बलात्कार किया गया और पिता की धमकी के कारण उसने मां को इस बारे में नहीं बताया.
बाद में पीड़िता की शिक्षक ने उसके शरीर पर चोट के निशान पाए और उससे जानकारी मांगी. इस दरम्यान उन्हें यह मालूम चला कि लड़की का पिता ही उसका यौन शोषण कर रहा था. इसके बाद बच्ची की मां ने 2012 में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और 2013 में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.