गौरक्षकों द्वारा की जाने वाली हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना करने को लेकर महात्मा गांधी के परपोते तुषार गांधी की ओर से दायर एक याचिका पर उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा के मुख्य सचिवों को जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं.
प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने तुषार गांधी की उस याचिका पर तीनों राज्यों को नोटिस जारी किया, जिसमें उन्होंने गौरक्षकों की हिंसा कम होने के बजाए कई गुना बढ़ने की ओर इशारा किया है. सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से यह भी पूछा कि क्यों ना उनके खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मामला चलाया जाए.
कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई तीन अप्रैल को करेगा.सुप्रीम कोर्ट ने छह सितंबर, 2017 को गौरक्षा के नाम पर हत्या को रोकने के आदेश दिए थे और केंद्र और केंद्र शासित प्रदेशों में इस तरह के हमले रोकने और हिंसा करने वालों के खिलाफ जिला स्तर पर नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए थे.
अदालत ने गौरक्षा के नाम पर हमले को जायज नहीं ठहराया था और कहा था कि इसके खिलाफ कार्रवाई किए जाने की जरूरत है.अदालत ने राज्य सचिवों को पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के साथ मिलकर इन दलों को पकड़ने के भी आदेश दिए थे. अदालत ने छह सितंबर को अपने आदेश में कहा था जहां तक राजमार्गों पर गश्त लगाने का सवाल है, सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को डीआईजी के साथ मिलकर कदम उठाना चाहिए और मामले की अगली सुनवाई पर शपथ पत्र दाखिल करना चाहिए.
अदालत ने कहा था कि इस तरह की ज्यादातर घटनाएं राज्य और राष्ट्रीय राजमार्गों पर हो रही हैं.गौरक्षा के नाम पर बने संगठनों पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि गौरक्षा के नाम पर हिंसा बंद होनी चाहिए.
कोर्ट ने कहा था कि हर राज्य में ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए हर जिले में वरिष्ठ पुलिस अफसर नोडल अफसर बने, जो यह सुनिश्चित करे कि कोई भी गोरक्षक कानून को अपने हाथों में न ले. अगर कोई घटना होती है तो नोडल अफसर कानून के हिसाब से कार्रवाई करें.