अदालत ने शराब कारोबारी विजय माल्या को विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (फेरा) उल्लंघन मामले के सिलसिले में जारी सम्मन से कथित तौर पर बचने के लिए दायर मामले में दी गई पेशी से छूट आज रद्द कर दी। मुख्य मेट्रोपालिटन मजिस्ट्रेट सुमित दास ने माल्या को निर्देश दिया कि वह 9 सितम्बर को उनके समक्ष निजी तौर पर पेश हों।
माल्या को दिसम्बर 2000 में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से दायर एक शिकायत के मामले में निजी पेशी से छूट दी गई थी।एजेंसी ने उद्योगपति को सम्मन 1996, 1997 और 1998 में लंदन और कुछ यूरोपीय देशों में फार्मूला वन वर्ल्ड चैंपियनशिप में किंगफिशर का लोगो प्रदर्शित करने के लिए ब्रिटिश कंपनी को 200000 डालर के कथित भुगतान के सिलसिले में जारी किया था।
एजेंसी ने दावा किया था कि धनराशि का कथित रूप से भुगतान आरबीआई की पूर्व अनुमति के बिना फेरा नियमों का उल्लंघन करते हुए किया गया था।यह आदेश प्रवर्तन निदेशालय की अर्जी पर आया है जो अभियोजक एन के मट्टा के जरिये दायर की गई थी। इस अर्जी में अब निष्क्रिय किंगफिशर एयरलाइंस के अध्यक्ष के खिलाफ भी गैर जमानती वारंट जारी करने की मांग की गई थी ताकि मामले में जारी सुनवायी में उनकी पेशी सुनिश्चित की जा सके जो कि अब अंतिम चरण में है।
एजेंसी की अर्जी में कहा गया कि माल्या कथित तौर पर ब्रिटेन में है और उनकी मौजूदगी इस मामले में जरूरी है। अर्जी में अदालत से माल्या को यह निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह प्रत्येक सुनवायी के दौरान निजी तौर पर पेश रहें।