प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सबसे महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट बुलेट ट्रेन की आलोचनाओं के बीच आधारशिला रख दी. उनके साथ जापान के पीएम शिंजो आबे भी थे. आधारशिला रखने के बाद पीएम मोदी ने भाषण भी दिया और विपक्षियों पर तंज कसने के साथ ही इस परियोजना के महत्व को समझाया. इसके साथ ही उन्होंने परियोजना से गुजरात को होने वाले फायदे को समझा दिया.
लेकिन जिस तरह से पीएम मोदी ने इस पूरे कार्यक्रम को भव्य रूप दिया है इसके अब राजनीतिक मतलब भी निकाले जाने शुरू हो गए हैं. एनडीए की सहयोगी शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में इसकी जमकर आलोचना की है.संपादकीय में लिखा गया है कि कि महाराष्ट्र के विधायक और सांसद अपने अपने क्षेत्र में रेल परियोजनाओं की मांग कर रहे हैं.
उन्हें अधर में रख कर बुलेट ट्रेन बिना मांगे मिल रही है.किसानों की कर्जमुक्ति की मांग पर कहा जाता है कि अराजकता फैल जाएगी लेकिन प्रधानमंत्री के अमीर सपने के लिए 30 से 50 हजार करोड़ रुपए खर्च किये जाएंगे. इससे अराजकता नही फैलेगी क्या ? इसका जवाब मिलना चहिये, किसानों की कर्जमुक्ति की मांग की सालों से की जा रही है बुलेट ट्रेन की मांग तो किसी ने नही की. मुखपत्र ने कहा कि मोदी का ये सपना आम आदमी का सपना नही अमीरों और व्यापारी वर्ग के कल्याण के लिए है.