इशरत जहां मामले में संप्रग सरकार पर फ्लिप फ्लॉप करने का आरोप लगाते हुए सरकार ने कहा कि ऐसा करना गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को बदनाम करने और फंसाने की गहरी साजिश का हिस्सा था और मामले की तह तक जाकर इस बारे में अंतिम निर्णय किया जाएगा। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि गृह मंत्रालय इस बात की जांच कर रहा है कि इशरत को पहले आतंकी बताने और बाद में उससे पीछे हट जाने संबंधी दो हलफनामे किन परिस्थितियों में दाखिल किए गए। उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में कुछ दस्तावेज लापता हैं। लेकिन मंत्रालय के स्तर पर आंतरिक छानबीन की जा रही है और सारे तथ्य एकत्रित किये जा रहे हैं जिसके बाद सोच-समझकर अंतिम निर्णय पर पहुंचा जाएगा।
लोकसभा में कुछ सदस्यों द्वारा ‘इशरत जहां मामले से सबंधित शपथपत्र में कथित फेरबदल’ के बारे में पेश ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर चर्चा के जवाब में सिंह ने यह बातें कहीं। उन्होंने कहा, पिछली संप्रग सरकार ने इस तथ्य पर पर्दा डालने का प्रयास किया कि इशरत जहां लश्कर ए तैयबा आपरेटिव थी, हालांकि अपने पहले हलफनामे में उसने यह बात स्वीकार की थी लेकिन एक महीने बाद ही उस हलफनामे को बदल दिया।
उन्होंने कहा कि मुंबई आतंकी हमले के षड्यंत्रकारी डेविड कोलमैन हेडली की गवाही से साबित हो गया है कि इशरत के लश्कर ए तैयबा से संबंध थे जैसा कि संप्रग सरकार के समय के पहले हलफनामे में भी स्वीकार किया गया था। सिंह ने कहा कि पहले इशरत को लश्कर-ए-तैयबा का ऑपरेटिव बताने वाला हलफनामा छह अगस्त 2009 को गुजरात उच्च न्यायालय में दाखिल किया गया था लेकिन अगले महीने ही 24 सितंबर को दूसरा हलफनामा दाखिल कर उसे आतंकवादी मानने से इनकार कर दिया गया।
राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकवाद के मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। इशरत जहां का मामला हो या आतंकवाद से जुड़ा कोई दूसरा मामला हो, उस पर किसी भी सरकार को फ्लिप-फ्लॉप नहीं करना चाहिए। सिंह ने कहा, ‘आतंकवाद के प्रश्न पर जाति, मजहब और धर्म की राजनीति नहीं होनी चाहिए।’ उन्होंने कहा, ‘मैं राजग सरकार की ओर से इस सदन को और देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि आतंकवाद के मुद्दे पर कोई कोताही नहीं बरती जाएगी और पूरी कड़ाई से कार्रवाई की जाएगी।’ सिंह ने पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम का नाम लिये बिना कहा कि पिछली सरकार के गृह मंत्री ने ‘भगवा आतंकवाद’ की बात कही थी। एक बयान में एक जाति को आतंकवाद से जोड़ा गया। आतंकवाद के संबंध में रंग, जाति की बात नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने पिछली संप्रग सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, ‘खुद को धर्मनिरपेक्ष बताने वाले लोगों ने आतंकवाद को सांप्रदायिक रंग दिया। देश चुनिंदा धर्मनिरपेक्षता को स्वीकार नहीं कर सकता।’ सिंह ने कहा कि मुंबई की एक अदालत में डेविड हैडली के बयान में संप्रग सरकार के पहले हलफनामे की इस बात को ही दोहराया गया है कि इशरत का लश्कर से संबंध था।
उन्होंने कहा कि हैडली का बयान दूसरा स्पष्ट संकेत है कि इशरत आतंकवादी थी। सिंह ने कहा कि तत्कालीन गृह सचिव (जी के पिल्लै) द्वारा तत्कालीन अटार्नी जनरल जी ई वाहनवती को लिखे दो पत्रों समेत कुछ अहम दस्तावेज और हलफनामे के मसौदे की प्रति का अभी तक पता नहीं चला है। उन्होंने कहा कि गुम दस्तावेजों में एजी द्वारा जांची गयी हलफनामे की प्रति और एजी द्वारा सत्यापित दूसरे हलफनामे, जिसमें बदलाव किये गये के मसौदे की प्रति शामिल है।
बीजद के कलिकेश नारायण सिंह देव ने कहा कि इशरत जहां मामले में कांग्रेस और भाजपा दोनों वोट बैंक की राजनीति कर रही है और इसके कारण आईबी, सीबीआई पर भी सवाल उठे हैं। उन्होंने कहा कि इस मामले में जो बातें सामने आ रही हैं, उसमें अधिकारियों को प्रताड़ित करने, हलफनाम बदलने की बात कही गई है। देव ने कहा कि यह भी कहा गया कि इशरत जिन तीन लोगों के साथ थी, वे लश्कर ए तैयाब से संबद्ध थे। और ये बातें जमात उद दावा एवं कुछ अन्य वेबसाइटों के हवाले से कहा गया। तो क्या कल मुझे या किसी अन्य को कोई बाहर की वेबसाइट आतंकवादी बताती है तो क्या हम आतंकवादी हो जायेंगे?
उन्होंने कहा कि चाहे पूर्ववर्ती संप्रग हो या राजग, उन्हें समझना चाहिए कि खुफिया सूचना कोई कही सुनी बात नहीं होती है। यह गंभीरता का विषय है। कई वर्ष गुजर गए लेकिन इस मामले में निष्कर्ष नहीं आया है। संप्रग की सरकार रही हो या राजग की सरकार, उनकी ओर से हस्तक्षेप हुए हैं। अधिकारियों को पदोन्नत करने या प्रताड़ित करने की बात सामने आई है।
भाजपा के अनुराग ठाकुर ने आरोप लगाया कि जब कांग्रेस को लगने लगा कि 2014 के चुनाव में नहीं जीत सकती तो भाजपा को रोकने के प्रयास किये गये। कांग्रेस ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को समाप्त करने का प्रयास किया। भाजपा के किरीट सोमैया ने कहा कि गृहमंत्री के जवाब में जावेद शेख समेत जिन लोगों के नाम हैं, बताया जाए कि वे कौन लोग थे। अगर इशरत जहां मुंबई में रहती थी तो वह अहमदाबाद में क्या कर रही थी।
सोमैया ने कहा कि इस सवाल का जवाब भी जरूरी है कि अगर इशरत अपने परिवार से दूर थी और परिवार को उसके बारे में नहीं पता था तो परिवार ने उसके लापता होने की कब और क्या शिकायत की थी। सोमैया ने आरोप लगाया कि कांग्रेस, राकांपा और सपा जैसे दलों ने लश्कर से जुड़ी इशरत को नायिका बना दिया और शहीद बताया। भाजपा सदस्यों ने इस मामले में जब कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं के नाम बार-बार लिये तो कांग्रेस के सदस्यों ने आपत्ति जताई और वह आसन के समीप आकर विरोध दर्ज कराने लगे।