जीएसटी के लिए 30 जून को संसद में होने वाले मिडनाइट सेशन में कई विपक्षी दल हिस्सा नहीं ले रहे हैं. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आरजेडी, समाजवादी पार्टी और वाम दलों ने जहां सरकार द्वारा घोषित विशेष समारोह में हिस्सा ना लेने की घोषणा की है वहीं जदयू ने कहा है कि वह यह फैसला अपने सांसदों पर छोड़ती है.
कांग्रेस ने सरकार द्वारा बुलाई गई बैठक की जमकर आलोचना करते हुए इसे चर्चाएं हासिल करने के लिए खुद के प्रचार का बड़ा तमाशा’बताया. पार्टी ने सरकार पर देश के स्वतंत्रता आंदोलन का अपमान करने का भी आरोप लगाया क्योंकि संसद के सेंट्रल हॉल में इससे पहले हुए तीन आधी रात के समारोह देश की आजादी से संबंधित थे.काग्रेस नेताओं ने कहा कि पार्टी के समारोह में हिस्सा ना लेने का यह भी एक कारण है.
कांग्रेस की तरह लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी ने भी जीएसटी को लेकर संसद की विशेष बैठक से दूर रहने का निर्णय लिया है. चारा घोटाला से जुडे एक मामले में गुरूवार को झारखंड में पेशी के लिए गए लालू ने अपनी पार्टी द्वारा बैठक के बहिष्कार की घोषणा करते हुए कहा कि दिल्ली में आधीरात में आयोजित बैठक में उनकी पार्टी शामिल नहीं होगी और उसका बहिष्कार करेगी.
तृणमूल कांग्रेस बैठक की बहिष्कार की घोषणा करने वाली पहली पार्टी थी. ममता बनर्जी ने कहा, ‘हम जीएसटी के समर्थन में थे. लेकिन उन्होंने कई चीजें बदल दीं. दवा आदि पर उन्होंने कर लगा दिया. हमने उनसे इसे जल्दबाजी में लागू नहीं करने को कहा. लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया.
ममता ने कल कहा था कि तृणमूल कांग्रेस 30 जून की आधीरात को जीएसटी लागू करने के प्रोग्राम में भाग नहीं लेगी.भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने केन्द्र पर जीएसटी लागू करने के लिए जल्दबाजी करने का अरोप लगाया. पार्टी ने 30 जून आधी रात ससद की विशेष बैठक में भाग नहीं लेने का फैसला किया है.
भाकपा के महासचिव सूर्यवरम सुधाकर रेड्डी ने कहा कि पार्टी ने अपने सांसदों से विचार विमर्श करने के बाद सरकार की ओर से बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं होने का निर्णय किया है.जीएसटी पर जदयू ने अपना रुख साफ ना करते हुए कहा कि उसने यह फैसला अपने सांसदों पर छोड़ दिया है. हालांकि पार्टी के प्रवक्ता के सी त्यागी ने कहा यह महज एक सुधारवादी उपाय है.