आज भाजपा में शामिल होंगे नारायण दत्त तिवारी

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के भाजपा में जाना करीब-करीब तय हो गया है। चर्चा यह भी है कि एनडी बुधवार को भाजपा में शामिल हो सकते हैं।एनडी की पत्नी उज्जवला तिवारी ने इसकी सीधे-सीधे पुष्टि तो नहीं की, पर इतना जरूर कहा कि दिल्ली में बुधवार को एनडी की भाजपा के आला नेताओं से मुलाकात है।

वहीं एएनआई ने भी ट्विटर पर पोस्ट करके इस बार की पुष्टि की है।भाजपा के आला नेताओं से मुलाकात के बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा। एनडी इस समय अपने बेटे रोहित शेखर के लिए भी टिकट मांग रहे हैं।सूत्रों के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के बेटे रोहित शेखर के भाजपा से टिकट के लिए नैनीताल ऊधमसिंह नगर सांसद सिंह कोश्यारी भी कोशिश कर रहे हैं।

इसके लिए एनडी को भाजपा में शामिल होने को भी कहा जा रहा है। रोहित के लिए तिवारी परिवार लालकुआं से टिकट मांग रहा था, जबकि पार्टी नेता रोहित को हल्द्वानी से टिकट देने के पक्ष में है।अब बताया जा रहा है कि भाजपा नेताओं से बातचीत के लिए तिवारी परिवार ने मंगलवार को दिल्ली में डेरा डाल लिया। एनडी की पत्नी उज्जवला तिवारी ने इसकी पुष्टि की।

उज्जवला ने बताया कि बुधवार को भाजपा नेताओं से मुलाकात है। इस मुलाकात के बाद तय होगा कि एनडी का अगला कदम क्या होगा। तिवारी परिवार इस समय कांग्रेस से खासा नाराज भी है।अपने पुत्र रोहित शेखर तिवारी के राजनीतिक पुनर्वास के लिए उम्रदराज एनडी तिवारी कांग्रेस से नाता तोड़ सकते हैं? सियासी हलकों में उनके जल्द भाजपा में शामिल होने की चर्चाएं गर्म हैं।

सियासी जानकारों की मानें तो एनडी यदि भाजपा में चले गए तो यह प्रदेश ही नहीं केंद्रीय कांग्रेस के लिए भी बड़े झटके के तौर पर होगा। चर्चा को हवा देने वाले बता रहे हैं कि एनडी इस वक्त कनाट प्लेस स्थिति एक होटल में परिवार समेत ठहरे हैं। मंगलवार को उनकी अमित शाह से मुलाकात होने की बात उत्तराखंड के सियासी हल्कों मे चर्चा में थी।

उन्हीं तत्वों ने यह भी बताया कि मंगलवार को शाह से मुलाकात नहीं हुई, मगर बुधवार को मुलाकात और भाजपा में उनका प्रवेश भी हो जाएगा। बता दें कि एनडी अपने पुत्र रोहित के लिए टिकट मांग रहे हैं। उन्होंने कांग्रेस और भाजपा दोनों ही दलों में शेखर के लिए संभावनाएं टटोली हैं।चर्चा है कि भाजपा उन्हें हल्द्वानी से उनकी अनुयायी रही डॉ. इंदिरा हृदयेश के खिलाफ उतारना चाह रही थी।

हालांकि इस फैसले को शेखर ने अपने लिए सुरक्षित नहीं माना, लिहाजा बात अटक गई।कहने वाले यह भी कह रहे हैं कि एनडी अब उम्र के उस पड़ाव पर हैं जहां उनके फैसलों में उस एनडी तिवारी का विवेक नहीं हैं जिन्हें राजनीति के चाणक्य की मिसाल दी जाती रही।जब तक एनडी की शारीरिक काया बुढ़ापे की गिरफ्त से बाहर रही, तब तक उनके सियासी फैसलों ने तेजतर्रार हरीश रावत को भी निस्तेज रखा।

अब कहा जाता है कि एनडी अपने परिवार के विवेक के हिसाब से निर्णय लेते हैं, लेकिन यह भी सच है कि उन्होंने भाजपा में जाने के संकेत देकर पहले से ही झटके झेल रही कांग्रेस को सदमे में डाल दिया है। एनडी पुराने और खांटी कांग्रेसी हैं और आजादी के आंदोलन के सिपाही रहे हैं।बचपन से लेकर जवानी तक उन्होंने कांग्रेस को देखा और जिया है।

बदले में कांग्रेस ने भी उनके सियासी कौशल की कद्र की और उन्हें तीन बार यूपी सरीखे बड़े राज्य की बागडोर सौंपी।केंद्रीय मंत्री रहे एनडी तिवारी ने तब भी कांग्रेस नहीं छोड़ी जब कांग्रेस आलाकमान ने राज्यपाल बनाकर उन्हें दक्षिण में दंडकारण्य दे दिया था। मगर कहते हैं कि सियासत में कुछ भी संभव है तो अब एनडी के भाजपा में जाने की चर्चाओं ने सियासी हलकों में खलबली मचा दी है।

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