भारत की रक्षा तैयारियों में सेंध लगाने की फिराक में चीनी हैकर्स

भारत की लगातार बढ़ रही सैन्य ताकत से ड्रैगन घबरा गया है। भारत को तनाव देने के लिए चीन कभी गलवान घाटी जैसी घटना करता है, तो कभी सीमावर्ती क्षेत्रों में गांव बसाता है तो कभी पाकिस्तानी आतंकी को मदद करता है।अब ड्रैगन की नई साजिश को भारतीय खुफिया एजेंसी ने ऐन वक्त पर पर्दाफाश कर दिया है।

एजेंसी ने भारत सरकार को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि चीनी हैकर्स भारत की रक्षा तैयारियों की जानकारी हासिल करने के लिए देश के डिफेंस सेक्टर पर साइबर अटैक करने की कोशिश कर रहे हैं।सूत्रों के अनुसार सरकार की सुरक्षा मामलों की खुफिया एजेंसियों ने सरकार से ऐसे 46 कंप्यूटरों की जानकारी दी है, जिसे हैक करने की कोशिश की गई।

खुफिया सूत्रों के मुताबिक जिन 46 कंप्यूटरों में हैकर्स ने सेंध लगाने की कोशिश की, उनमें 17-18 जम्मू-कश्मीर, 12 कर्नाटक और 16 उत्तर प्रदेश से हैं।इतना ही नहीं इसके साथ ही 100 से ज्यादा वेब एप्लीकेशन का पता लगाया गया, जिसके जरिए ड्रैगन की साइबर टीम द्वारा हैकिंग की कोशिश की जा रही है।

इस साल के सितम्बर माह के बीच हुए साइबर अटैक की जानकारियों को एजेंसी ने केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारों से साझा किया।खुफिया सूत्रों के अनुसार अमेरिका, इस्राइल जैसे देशों से अत्याधुनिक हथियार खरीद कर या फिर युद्धपोत और मिसाइल बनाकर अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने के कारण चीन का ब्लड प्रेसर हाई हो गया है।

सूत्रों ने बताया कि अब चीन यह पता लगाने की कोशिश में है कि भारत एंटी मिसाइल डिफेंस सिस्टम के साथ-साथ अपने फाइटर जेट्स से लेकर दूसरे हथियारों को कहां-कहां तैनात कर रहा है और क्या-क्या विकसित कर रहा है।खुफिया सूत्रों के अनुसार चीन के साइबर हैकर्स डिफेंस सेक्टर के साथ-साथ देश के पावर, बैंक, सेंट्रल पैरामिलिट्री बल और पुलिस बलों के कंप्यूटर्स को भी हैक करने की कोशिश में हैं।

खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन द्वारा हैकिंग के जरिए ज्यादातर कोशिश रक्षा से जुड़ी जानकारियों को हासिल करने की है। इसको लेकर सुरक्षा एजेंसियों ने एसओपी जारी कर अलर्ट कर दिया है।गौरतलब है कि इससे पहले सितंबर में अमेरिका की एक निजी साइबर सुरक्षा कंपनी ने दावा किया था कि उसे ऐसे साक्ष्य मिले हैं ।

संभवत: राज्य प्रायोजित एक चीनी समूह द्वारा एक भारतीय मीडिया समूह के साथ-साथ पुलिस विभाग और राष्ट्रीय पहचान संबंधी आंकड़ों के लिए जिम्मेदार एजेंसी को हैक कर लिया गया था। मैसाचुसेट्स स्थित रिकॉर्डेड फ्यूचर के इनिसक्ट ग्रुप ने कहा था कि हैकिंग समूह, जिसे अस्थायी तौर पर टीएजी-28 नाम दिया गया है, ने विन्नटी मालवेयर का उपयोग किया।

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