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असम में भारत द्वारा पुल बनाने को लेकर चीन ने दिया बयान

असम और अरुणाचल में भारत द्वारा पुल बनाने के बाद चीन ने भारत को हिदायत देना शुरू कर दिया है। चीन फॉरेन मिनिस्ट्री ने कहा कि बातचीत के जरिए बॉर्डर विवाद सुलझाने के लिए भारत को संयमी रवैया बरकरार रखना चाहिए। मिनिस्ट्री ने कहा चीन-इंडिया बॉर्डर के पूर्वी हिस्से में चीन की मौजूदगी मजबूत और साफ है।

बता दें कि नरेंद्र मोदी ने 26 मई को असम के तिनसुकिया में देश के सबसे लंबे पुल का इनॉगरेशन किया। इस पुल से असम और अरुणाचल प्रदेश की दूरी 165 किमी कम हो जाएगी। पुल की चीन बॉर्डर से हवाई दूरी 100 किमी है।चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री ने कहा हम उम्मीद करते हैं कि बॉर्डर मसले पर भारत संयम और सावधानी भरा रवैया अपनाएगा।

विवादों को काबू करने और बॉर्डर पर शांति बनाए रखने के लिए मसले का हल निकलने तक भारत हमारे साथ मिलकर काम करेगा। चीन और भारत को ये मसला बातचीत और सलाह के जरिए सुलझाना चाहिए।हालांकि अपने बयान में चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री ने सीधे तौर पर असम में बने भूपेन हजारिका पुल का जिक्र नहीं किया है।

पिछले कुछ साल के दौरान चीन ने तिब्बती इलाके में रेल, रोड और एयरपोर्ट्स के कंस्ट्रक्शन पर फोकस बढ़ा दिया है। ये भारत के लिए परेशानी का सबब है, क्योंकि इस तरह के कंस्ट्रक्शन से चीन की सेना इस इलाके में आसानी से मूवमेंट कर सकती है। पिछले कुछ समय से भारत भी बॉर्डर एरिया में इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है।

चाइना अब तक अरुणाचल प्रदेश को साउथ तिब्बत बताया आया है। भारत का कहना है कि सीमा विवाद में अक्साई चिन का एरिया भी आता है, जिसे चीन ने 1962 की लड़ाई के दौरान कब्जा कर लिया था। बॉर्डर विवाद को सुलझाने के लिए भारत और चीन के बीच अभी तक 19 बार बातचीत हो चुकी है।पुल असम की राजधानी दिसपुर से 540 किमी और अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर से 300 किमी दूर है।

चीन के बॉर्डर से पुल का एरियल डिस्टेंस महज 100 किमी है।यह पुल नॉर्थ-ईस्ट के दूरदराज के इलाकों में रहने वाले लोगों को देश के अन्य हिस्सों से जुड़ने के लिए सड़क की सुविधा मुहैया कराएगा। अभी तक इन लोगों को आने-जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता था।पुल पर 60 टन के लड़ाकू टैंक उतारे जा सकते हैं। चीन बॉर्डर पर फोर्सेस को पहुंचने में आसानी होगी।इससे असम-अरुणाचल में टूरिज्म को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय स्तर पर रोजगार के मौके पैदा होंगे।

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