अब 824 करोड़ रुपए का एक और बड़ा बैंक फ्रॉड का मामला सामने आया है। यह मामला चेन्नई बेस्ड ज्वैलरी कंपनी सेे जुड़ा है। इस मामले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने ज्वैलरी चेन कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 824 करोड़ रुपए के लोन फ्रॉड को लेकर सीबीआई से जांच की मांग की है।
कंपनी को 14 बैंकों के कंसोर्टियम ने लोन दिया था, जिसमें एसबीआई सबसे आगे है। यह लोन अब एनपीए घोषित हो चुका है। इस मामले में जांच एजेंसी सीबीआई ने एफआईआर दर्ज कर ली है। यह जानकारी दी गई है कि एसबीआई द्वारा की गई शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की गई है।
यह मामला नीरव मोदी और मेहुल चौकसे द्वारा पीएनबी में किए गए फ्रॉड से अलग है। पीएनबी के मामले में लेटर ऑफ अंडरटेकिंग का गलत इस्तेमाल कर बैंक से पैसे लिए गए।कनिष्क गोल्ड प्राइवेट लिमिटेड के मामले में बैंक को गलत फाइनेंशियल एस्टेमेंट और रिकॉर्ड दिखाकर लोन लिया गया।
कुल लोन 824 करोड़ रुपए का है, लेकिन ब्याज सहित यह रकम इससे कहीं ज्यादा बताई जा रही है।एसबीआई की ओर से कहा गया, कनिष्क गोल्ड ने 2007 से कर्ज लेना शुरू किया, और बाद में उसने अपनी क्रेडिट की सीमा बढ़वा लिया। कनिष्क का रजिस्टर्ड ऑफिस चेन्नई में है। इसके मालिक और प्रमोटर-डायरेक्टर भूपेश कुमार जैन और उनकी पत्नी नीता जैन हैं।
एसबीआई ने शिकायत में कहा कि ज्वैलर ने सबसे पहले मार्च 2017 में ब्याज भुगतान में 8 सदस्य बैंकों से डिफॉल्ट किया। अप्रैल 2017 तक कनिष्क ने सभी 14 बैंकों को पेमेंट रोक दी। 5 अप्रैल 2017 को स्टॉक ऑडिट की शुरुआत के समय बैंकर्स प्रमोटर से संपर्क करने में असफल रहे।
एसबीआई के मुताबिक, मार्च 2017 में कनिष्क ज्वैलरी का डिफॉल्ट सामने आया था। जब उसने 8 सदस्य बैंकों का ब्याज नहीं चुकाया। इसके बाद अप्रैल 2017 में सभी 14 बैंकों का ब्याज चुकाने में असमर्थता जताते हुए पेमेंट रोक दी।
इसके बाद बैंक अधिकारियों ने कंपनी के प्रमोटर और डायरेक्टर से संपर्क किया लेकिन वह नहीं मिले। 25 मई 2017 को कनिष्क के कॉर्पोरेट ऑफिस का दौरा करने बैंकर्स पहुंचे, लेकिन फैक्ट्री और शोरूम दोनों ही बंद थे। भूपेश जैन ने उसी दिन बैंकों को लेटर लिखकर दस्तावेजों में फर्जीवाड़े और सभी स्टॉक को हटाने के बारे में बताया।
मद्रास ज्वैलर्स एंड डायमंड मर्चेंट एसोसिएशन के एक सदस्य के मुताबिक, कनिष्क गोल्ड लगातार घाटे में जा रही थी और उसके लिए काम जारी रखना संभव नहीं हो पा रहा था। मई 2017 में ही उसने घाटे से बचने के लिए अपने सभी आउटलेट्स बंद कर दिए।जानकारी के अनुसार एसबीआई ने ज्वैलरी कंपनी को 240 करोड़ रुपए लोन दिया था।
इसके अलावा पीएनबी ने 128 करोड़, आईडीबीआई ने 49 करोड़, बैंक ऑफ इंडिया ने 46 करोड़, सिंडिकेट बैंक ने 54 करोड़, यूनियन बैंक ने 53 करोड़, यूकों बैंक ने 45 करोड़, सेंट्रल बैंक ने 22 करोड़, कॉरपोरेशन बैंक ने 23 करोड़, बैंक ऑफ बड़ौदा ने 32 करोड़, तमिलनाडु बैंक ने 27 करोड़, एचडीएफसी बैंक ने 27 करोड़, आईसीआईसीआई बैंक ने 27 करोड़ और आंध्रा बैंक ने 32 करोड़ रुपए लोन दिया था।