अदालत ने फर्जी पासपोर्ट मामले में गैंगस्टर छोटा राजन एवं तीन अन्य के खिलाफ आज धोखाधड़ी, फर्जीवाड़े और आपराधिक साजिश के कथित अपराधों को लेकर आरोप तय किए। विशेष सीबीआई न्यायाधीश विनोद कुमार ने राजन के वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अदालत में पेश होने, बेगुनाही का दावा करने एवं सुनवाई की मांग करने के बाद यह आदेश जारी किया।
राजन के खिलाफ तीन सरकारी अधिकारियों की मदद से मोहन कुमार के नाम से फर्जी पासपोर्ट कथित रूप से हासिल करने को लेकर आरोप तय किए गए। ये सरकारी अधिकारी भी इस मामले में आरोपी हैं।अदालत ने यह कहते हुए 11 जुलाई से रोजाना आधार पर मामले की सुनवाई का आदेश दिया कि राजन लंबे समय से न्यायिक हिरासत में है और रोजाना आधार पर सुनवाई होनी चाहिए।
राजन के अलावा अदालत ने तीन सेवानिवृत जन सेवकों जयश्री दत्तात्रेय रहाते, दीपक नटवरलाल शाह और ललिता लक्ष्मणन को भी सुनवाई में शामिल किया।इन चारों आरोपियों को भादसं और पासपोर्ट अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत आरोपित किया गया है। इसके अलावा अदालत ने सेवानिवृत जनसेवकों के विरूद्ध भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत भी आरोप तए किए।
सुनवाई के दौरान अदालत ने राजन का नमूना हस्ताक्षर लेने की उसकी अर्जी भी स्वीकार कर ली। आरोप निर्धारण पर बहस के दौरान सीबीआई ने आरोप लगाया था कि सरकारी अधिकारियों ने प्रक्रिया का पूरी उल्लंघन करते हुए मोहन कुमार :जो कि था ही नहीं: के नाम से राजन के लिए पासपोर्ट जारी करने के लिए साजिश रची।
उसने अदालत से कहा कि राजन हत्या एवं जबरन वसूली के आरोपों जैसे कई गंभीर मामलों में आरोपी है तथा 1995 में जब उसके विरूद्ध रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया था तब उसने भाग जाने के लिए नयी पहचान का इस्तेमाल किया था।राजन ने इस आरोप से इनकार किया कि उसने फर्जी पासपोर्ट की मदद से कानून से बचने के लिए फर्जी पहचान का इस्तेमाल किया था क्योंकि वह जघन्य तरह के कई मामलों में आरोपी था।
उसके वकील ने कहा था कि उन्हें आरोपपत्र के आरोपों के हिसाब से अपने मुवक्किल के खिलाफ आरोप निर्धारण में कोई आपत्ति नहीं है।सीबीआई के अनुसार राजन ने अन्य आरोपियों के साथ मिलीभगत कर एक जनवरी, 1998 को बेंगलुरू से अपना पहला फर्जी पासपोर्ट जारी करवाया था।