केंद्र सरकार ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पर मामले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया। दूसरी तरफ कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने कहा कि समान नागरिक संहिता को थोपा नहीं जाना चाहिए।केंद्रीय मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि समान आचार संहिता और एक साथ तीन तलाक दो अलग मुदल्दे हैं तथा मुख्य मुद्दा लैंगिक न्याय का और महिलाओं के खिलाफ भेदभाव खत्म करने का है। बहरहाल, उन्होंने यह भी कहा कि समान नागरिक संहिता को लोगों पर थोपा नहीं जाएगा।
नायडू ने संवाददाताओं से कहा आप (ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड) बहस में शामिल होइए। प्रबुद्ध बहस होने दीजिए और आप अपना नजरिया रखिए। एक आम सहमति बनने दीजिए। आप प्रधानमंत्री का नाम बीच में लाने और उन्हें तानाशाह कहने की कोशिश क्यों कर रहे हैं? सरकार की यह तीखी प्रतिक्रिया दरअसल ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और कई अन्य मुस्लिम संगठनों की ओर से की गई घोषणा के एक दिन बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वे विवादित समान नागरिक संहिता पर विचार जानने की विधि आयोग की प्रक्रिया का बहिष्कार करेंगे।
उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार का यह कदम उनके धार्मिक अधिकारों के खिलाफ ‘युद्ध’ छेड़ना है और समान नागरिक संहिता भारत के बहुलवाद को मार डालेगी।ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की आलोचना करते हुए नायडू ने यह भी कहा, ‘यदि आप राजनीतिक टिप्पणियां करने में इतनी दिलचस्पी रखते हैं तो आप अपनी पसंद के किसी भी दल में शामिल हो सकते हैं। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य धार्मिक नेताओं से ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती।
कांग्रेस ने आज कहा कि इस जटिल मामले पर फैसला उच्चतम न्यायालय को करना है और साथ ही उसने इस बात पर जोर दिया कि पार्टी ने हमेशा महिलाओं के सशक्तीकरण की पैरवी की है। समान नागरिक संहिता को लेकर खड़ी हुई नई बहस के बीच कांग्रेस प्रवक्ता शोभा ओझा ने कहा कि उनकी पार्टी किसी संहिता को थोपे जाने के खिलाफ है और ऐसे मामले पर सभी संबंधित पक्षों को भरोसे में लिए जाने की जरूरत है।
सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने समान नागरिक संहिता को लेकर जारी बहस के बारे में पूछे जाने पर कहा कि अभी वह इस मुद्दे पर ज्यादा कुछ नहीं कहेंगे, लेकिन इतना जरूर है कि इसे लेकर कोई विवाद नहीं होना चाहिये। उन्होंने कहा कि समान नागरिक संहिता के मुद्दे को धार्मिक नेताओं पर छोड़ देना चाहिये। देश और इंसानियत के सवाल पर सबको एकजुट रहना चाहिये।
नायडू ने कहा देश का असली मूड यह है कि लोग इस तीन तलाक को खत्म करना चाहते हैं। लोग किसी धर्म के आधार पर महिलाओं के खिलाफ भेदभाव नहीं चाहते। जैसा कि मैंने आपको बताया कि मुद्दे लैंगिक न्याय, पक्षपात विहीन और महिलाओं के सम्मान के हैं।’ उन्होंने कहा, ‘आपको खुद को इस मुद्दे तक सीमित रखना होगा और विधि आयोग ने इस मुद्दे को चर्चा के लिए सामने रखा है। नायडू ने कहा कि विधि आयोग समान नागरिक संहिता पर समग्र चर्चा चाहता है और यदि एआईएमपीएलबी बहस में हिस्सा नहीं लेना चाहता है तो यह उनकी पसंद है।
उन्होंने कहा यदि आप प्रतिक्रिया नहीं देना चाहते हैं, जवाब नहीं देना चाहते हैं तो यह आपकी मर्जी है लेकिन आप खुद को विजेता की तरह पेश मत कीजिए और न ही ऐसा जताने की कोशिश कीजिए कि दूसरों के विचारों का कोई महत्व ही नहीं है। इसे राजनीतिक बहस में बदलने की कोशिश मत कीजिए। उन्होंने तीन तलाक के मुद्दे पर कहा कि विधि आयोग सभी पक्षों की राय जानना चाहता है।
नायडू ने कहा वे इस मुद्दे पर बहस, चर्चा चाहते हैं और सभी धार्मिक नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, प्रतिष्ठित सार्वजनिक हस्तियों को सभी इंसानों – पुरूषों और महिलाओं- के लिए समानता के मूल सिद्धांत को मान्यता देने और उस दिशा में काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग तीन तलाक और समान नागरिक संहिता के मुद्दे को उलझाने की कोशिश कर रहे हैं।
नायडू ने कहा कि समान नागरिक संहिता संविधान के नीति निर्देशक सिद्धांतों के अनुच्छेद 44 में निहित है और इसे राजग सरकार या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नहीं लेकर आए हैं। उन्होंने कहा समान नागरिक संहिता पर चर्चा करने में कुछ गलत नहीं है और जनता पर कुछ भी थोपा नहीं जाएगा। यदि कुछ किया जाता है तो वह समुदाय के बीच आम सहमति और मंजूरी के आधार पर होगा। नायडू ने कहा सरकार निश्चित तौर पर देश भर में बहस चाहती है। यहां तीन मूल मुद्दे हैं – लैंगिक न्याय, अपक्षपात और महिलाओं का सम्मान।
लोकतंत्र में, हर किसी के पास अपने विचार रखने का अधिकार है।’ कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि जब एक दर्जन से अधिक इस्लामी देश कानून बनाकर इस चलन का विनियमन कर सकते हैं तो भारत जैसे ‘धर्मनिरपेक्ष’ देश के लिए इसे किस प्रकार गलत माना जा सकता है।प्रसाद ने संवाददाताओं से कहा पाकिस्तान, ट्यूनीशिया, मोरक्को, ईरान और मिस्र जैसे एक दर्जन से ज्यादा इस्लामी देशों ने एक साथ तीन तलाक का विनियमन किया है।