जम्मू कश्मीर में जारी हिंसा से चिंतित केंद्र ने शनिवार को घाटी में अर्धसैनिक बलों के 3,600 अतिरिक्त कर्मी भेजने का फैसला किया। हिंसा की आशंका को देखते हुए कश्मीर के 7 थाना इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। घाटी एक तरह से बंद है। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि हिंसा में अब और किसी व्यक्ति की जान न जाए।
अधिक बल भेजने का फैसला यहां एक उच्चस्तरीय बैठक में किया गया जिसमें जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर गहन चर्चा की गई।मंगलवार से जारी हिंसक प्रदर्शनों के दौरान सुरक्षाबलों की कार्रवाई में पांच लोगों के मारे जाने के बाद कश्मीर के हिस्सों में चौथे दिन भी कर्फ्यू जैसे प्रतिबंध बरकरार हैं।गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में लोगों की जान जाने पर चिंतित है।
वित्त सचिव रतन पी वाटल, जिनके पास केंद्रीय गृह सचिव का अतिरिक्त प्रभार भी है, ने बैठक की अध्यक्षता की जिसमें गुप्तचर ब्यूरो, रक्षा मंत्रालय, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और गृह मंत्रालय के अधिकारी शामिल हुए।प्रवक्ता ने बताया कि बैठक में कश्मीर घाटी में मौजूदा स्थिति की समीक्षा की गई और स्थिति को नियंत्रण में लाने तथा आगे और कोई जान न जाए, यह सुनिश्चित करने के लिए जम्मू कश्मीर सरकार की जरूरतों का आकलन किया गया।
बैठक में कश्मीर घाटी में सुरक्षा ग्रिड को मजबूत करने के लिए अतिरिक्त केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल भेजने का फैसला किया गया। अर्धसैनिक बलों की 12 कंपनियां आज राज्य पहुंच रही हैं तथा 24 अन्य कल तक पहुंच जाएंगी। अर्धसैनिक बलों की एक कंपनी में करीब 100 कर्मी होते हैं।गृह मंत्रालय जम्मू कश्मीर के वरिष्ठ अधिकारियों के नियमित संपर्क में है और नियमित आधार पर स्थिति की निगरानी कर रहा है। इसने स्थिति सामान्य करने के लिए राज्य सरकार को पूर्ण सहयोग और समर्थन का आश्वासन दिया है।
मंगलवार को हंदवाड़ा में एक जवान द्वारा एक लड़की से कथित छेड़छाड़ के विरोध में प्रदर्शन के दौरान तीन लोगों की मौत के बाद घाटी में कफ्र्यू जैसे प्रतिबंध लगा दिए गए। दो अन्य लोग बाद में पुलिस की गोलीबारी में मारे गए।प्रवक्ता ने कहा कि आज की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नवंबर 2015 में कश्मीर दौरे के दौरान घोषित विकास पैकेज का भी जायजा लिया गया। पैकेज को जम्मू-कश्मीर के संपूर्ण विकास के लिए तेजी से कार्यान्वित किया जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने शनिवार को राज्य पुलिस से पूछा कि उसने किस कानून के तहत उस नाबालिग लड़की को हिरासत में लिया जिसका गत मंगलवार को कथित रूप से एक सैनिक ने हंदवाड़ा में यौन उत्पीड़न किया था। इस घटना की वजह से शुरू हुए हिंसक विरोध-प्रदर्शनों में पांच लोग मारे गए हैं।16 साल की लड़की की मां ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर अपनी बेटी और दो दूसरे परिजनों की पुलिस की ‘अवैध हिरासत’ से रिहाई की मांग की। उनके वकील परवेज इमरोज ने यह जानकारी दी।
इमरोज ने कहा कि न्यायमूर्ति एम एच अतर ने राज्य को नोटिस जारी करने के अलावा हंदवाड़ा के पुलिस अधीक्षक और संबंधित पुलिस थाने को निर्देश दिया कि वे अदालत को बताएं कि उन्होंने किस कानून के तहत नाबालिग लड़की, उसके पिता और उसकी मौसी को 12 अप्रैल की घटना के बाद से हिरासत में रखा हुआ है।उन्होंने कहा कि अदालत ने पुलिस को लड़की को बयान दर्ज कराने के लिए मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने पेश करने का भी निर्देश दिया।