राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचने का काम कर रही केंद्र सरकार : राजीव शुक्ला

कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है. शुक्ला ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार मॉनेटाइजेशन स्कीम के नाम पर देश को बेच रही है. यदि भाजपा को रोका नहीं गया तो राजस्थान में सरकार आने के बाद ये जयपुर का हवा महल, आमेर का किला बेच देंगे. शुक्ला ने कहा कि देश की जनता ने भाजपा को सत्ता चलाने के लिए वोट दिया है, देश बेचने के लिए नहीं.

मोनोटाइजेशन स्कीम के विरोध में चल रहे कांग्रेस के अभियान के तहत जयपुर आए राजीव शुक्ला ने पीसीसी में मीडिया से कहा कि केंद्र सरकार राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचने का काम कर रही है. इन्होंने दिल्ली के लालकिला को कोलकाता की कम्पनी को बेचने की तैयारी कर ली थी, लेकिन विरोध के बाद अपने कदम वापस खींचे.

शुक्ला ने कहा कि केंद्र सरकार ऊर्जा उपक्रम से लेकर राजमार्ग, हाइड्रो पावर केंद्र, को बेचने जा रही हैं. ये आठ हजार किमी गेल इंडिया की पाइप लाइन को बेचने का काम कर रहे हैं. अतिसंवेदनशील उपक्रमों को बेचने से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा भी उत्पन्न हो सकता है.राजीव शुक्ला ने एयरपोर्ट, कोल इंडिया प्रोजेक्ट, एयरपोर्ट अथॉरिटी, बीएसएनएल, एमटीएनएल के टावर को निजी हाथों में देने की केंद्र सरकार की कोशिश पर सवाल खड़े किए है.

शुक्ला ने कहा है कि यह गंभीर मुद्दा है कि जब आप एयरपोर्ट, रेलवे लाइन, मोबाइल टावर ही नहीं चला सकते तो आप सरकार में क्यों हैं. ऐसे लोगों को सरकार छोड़कर चले जाना चाहिए. केंद्र सरकार स्ट्रेटेजिक महत्व के असेट बेचकर देश की सुरक्षा को खतरे में डाल रही है.राजीव शुक्ला ने आगे कहा कि पहले भी सरकारों ने सार्वजनिक उपक्रम की सम्पत्तियां बेची है, इसको लेकर पॉलिसी भी है.

उन्हीं उपक्रमों की सम्पतियां बेच सकते हैं जो घाटे में चल रहे हैं. जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए सरकार को कार्य करना चाहिए. शुक्ला ने कहा कि देश में 70 साल में जनता के पैसों से जो बड़े-बड़े उपक्रम बनाए गए हैं, उन्हें कॉरपोरेट घरानों को देना गलत है. केंद्र कह रहा है कि किराए पर दे रहे हैं, लेकिन 50 साल के लिए कौन किराए पर देता है.

मकान किराए का एग्रीमेंट भी 11 महीने का होता है, लेकिन केंद्र 50-60 के एग्रीमेंट पर अपने खास उद्योपतियों को देश की धरोहरों को बेच रही हैं. उस वक्त तक तो संपत्तियां किराए पर देने वाले ही नहीं बचेंगे. सरकार के हाथ में कुछ नहीं रहने वाला है. ये क्या-क्या बेच देंगे, इसका कोई ठिकाना नहीं है.उन्होने लगातार बढ़ रही महंगाई के मामले में भी केंद्र सरकार को कठघरे में खड़ा किया है.

शुक्ला ने कहा कि देश की जनता महंगाई से परेशान है. गैस और पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. यूपीए के वक्त 120 डॉलर प्रति बैरल क्रूड था, फिर भी हम आज से आधी कीमत पर गैस, पेट्रोल-डीजल बेचते थे. आज 60 से 70 के बीच क्रूड है. केंद्र सरकार यूपीए राज की तुलना में आधी कीमत पर क्रूड खरीदकर जनता को दोगुने दामों पर पेट्रोल-डीजल बेच रही है.

इससे केंद्र ने 22 लाख करोड़ जुटाए, लेकिन जनता को राहत नहीं दी. जनता को लूटने का काम कर रही है केंद्र सरकार. पेट्रोल-डीजल की कीमतों की बढ़ोत्तरी का असर दूसरी वस्तुओं पर पड़ता है. पेट्रोल-डीजल के साथ ही दूसरी वस्तुएं महंगी हो जाती हैं.राजीव शुक्ला ने केंद्र सरकार के कोरोना प्रबंधन पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि विश्व मे जहां लॉकडाउन लगा वहां की सरकारों ने राहत दी.

लोगों को घर बैठे वेतन और सुविधाएं उपलब्ध कराई, लेकिन केंद्र सरकार ने कुछ नहीं किया. शुक्ला ने कटाक्ष करते हुए कहा कि पहली लहर में राष्ट्र के नाम संदेश दिए जा रहे थे, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर में राष्ट्र के नाम संदेश कहां गए.आखिर में राजीव शुक्ला ने कहा कि मोनोटाइजेशन के खिलाफ कोर्ट जाने का रस्ता है लेकिन हम नहीं जा रहे हैं.

केंद्र भी चाहती है कि हम कोर्ट में चले जाएं, ताकि मामले को लटका लें. हम तो जनता की आदालत में हैं, यह सबसे बड़ी अदालत है, यह फैसला करेगी. शुक्ला ने कहा कि सरकार संसद में सुन नहीं रही, विपक्ष की बात जनता तक पहुंचे, इस लिए मीडिया का साथ चाहिए.

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