दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि कोविड-19 टीकों को बिना क्लीनिकल परीक्षण के लगाया जाता है, विशेषकर बच्चों को, तो यह एक आपदा होगी।न्यायालय ने केन्द्र से कहा कि वह परीक्षण के बाद 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को जल्दी से टीका लगाने के लिए कदम उठाए, क्योंकि पूरा देश इसका इंतजार कर रहा है। केंद्र ने उच्च न्यायालय को बताया कि 18 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए कोविड टीके का क्लीनिकल परीक्षण जारी हैं और यह पूरा होने वाला है।
केंद्र ने कहा कि सरकार नीति बनाएगी और विशेषज्ञों की अनुमति के बाद ही बच्चों का टीकाकरण किया जाएगा।मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा परीक्षण पूरा हो जाने दीजिए, नहीं तो बिना परीक्षण के टीका लगाने से, वह भी बच्चों के मामले में यह आपदा हो जाएगी। पीठ ने कहा एक बार परीक्षण पूरे हो जाएं, तो आप जल्द से जल्द इसे बच्चों पर लागू करें।
पूरा देश इंतजार कर रहा है।अदालत ने मामले में अगली सुनवाई छह सितंबर को निर्धारित की है।उच्च न्यायालय एक नाबालिग की ओर से दायर जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रहा था। इसमें 12 से 17 आयु वर्ग के बच्चों के तत्काल टीकाकरण के निर्देश देने का इस आधार पर अनुरोध किया गया है कि आशंका है कि कोविड-19 की तीसरी लहर उन्हें ज्यादा प्रभावित करेगी।
केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल चेतन शर्मा ने कहा कि दवा कंपनी जायडस कैडिला, जो डीएनए वैक्सीन विकसित कर रही है, ने 12 से 18 वर्ष की आयु के बीच के लिए अपना क्लीनिकल परीक्षण समाप्त कर लिया है और यह वैधानिक अनुमति के अधीन है।