केंद्र सरकार ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निजी फायदे के ड्रामा करने का आरोप लगाया है। सरकारी सूत्रों ने आईएएनएस से कहा प्रधानमंत्री की पूर्व में हुई बैठकों में न शामिल होने का ममता बनर्जी का रिकॉर्ड रहा है। आज की मीटिंग में बंगाल के 24 नॉर्थ परगना के डीएम का बोलना तय था, लेकिन ममता बनर्जी ने इसे कैंसिल करा दिया।
वह बैठक का राजनीतिकरण करना चाहती थीं। बैठक में किसी तरह का कोई भेदभाव नहीं हुआ। गैरभाजपा शासित राज्यों छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, केरल, आंध्र प्रदेश और राजस्थान के जिलाधिकारियों ने भी बैठक में अपनी बात रखी।
दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिलों से कोरोना प्रबंधन पर फीडबैक के लिए उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा, छत्तीसगढ़, केरल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश सहित दस राज्यों के कुल 54 जिलाधिकारियों के साथ बैठक बुलाई थी।
इस बैठक में राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी हिस्सा लिया। बैठक समाप्त होने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि आमंत्रित करने के बाद भी गैरभाजपा शासित राज्यों के मुख्यमत्रियों को बोलने का मौका नहीं दिया।
ममता ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने ऑक्सिजन और ब्लैक फंगस की समस्याओं को लेकर भी कुछ नहीं पूछा। इस रवैये से गैरभाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री खुद को अपमानित महसूस कर रहे हैं। अगर बोलने की अनुमति नहीं थी तो बुलाया क्यों गया?
ममता बनर्जी के आरोपों पर केंद्र सरकार के उच्चस्तरीय सूत्रों का कहना है कि वह जानबूझकर बैठक का राजनीतिकरण कर रही हैं। पश्चिम बंगाल के 24 नॉर्थ परगना जिले के डीएम को उन्होंने बोलने नहीं दिया। जबकि डीएम इस बैठक में अपनी बात रखना चाहते थे। बगाल में 24 नॉर्थ परगना जिला कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में है।
सरकारी सूत्रों ने बताया कि कोरोना से लेकर अन्य मसलों पर प्रधानमंत्री की पूर्व में हुई बैठकों का ममता बनर्जी बहिष्कार करती रही हैं। 2019 में ममता बनर्जी ने नीति आयोग की बैठक में हिस्सा नहीं लिया था, वहीं वर्ष 2020 और इस साल 2021 में कोरोना के मसले पर हुई एक अन्य प्रधानमंत्री की बैठक में उन्होंने हिस्सा नहीं लिया था।