बेतहाशा आमदनी के मामले में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की मुश्किलें बढ़ सकती है। स्टील मंत्री रहने के दौरान लगभग छह करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति बनाने के मामले में सीबीआइ ने वीरभद्र सिंह और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ प्रारंभिक जांच का केस दर्ज कर लिया है। वीरभद्र सिंह ने इस कमाई को कृषि आय साबित करने की कोशिश की थी, लेकिन सीबीआइ ने इस दलील को खारिज कर दिया। आयकर छापे से खुला था मामला वीरभद्र सिंह के पास आय से अधिक संपत्ति होने का खुलासा 2010 में इस्पात इंडस्ट्री पर आयकर विभाग के छापे के बाद हुआ था। छापे में आयकर विभाग को एक डायरी मिली थी। इसमें ‘वीबीएस’ समेत ऊंचे ओहदे पर बैठे कई लोगों को मोटी रिश्वत देने का उल्लेख था। सीबीआइ 2012 से इस मामले की प्रारंभिक जांच कर रही है।
2013 में प्रशांत भूषण ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपील दाखिल कर इस मामले में वीरभद्र सिंह के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू करने की मांग की थी। दो साल से इस मामले की सुनवाई चल रही है। पुरानी पीई से अलग है नया केस सीबीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वीरभद्र सिंह के खिलाफ ताजा पीई पुराने से अलग है। जहां पुराने पीई में इस्पात इंडस्ट्री से बरामद डायरी में सभी नामों की जांच की जा रही है। वहीं नई पीई में वीरभद्र सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति बनाने के आरोपों की जांच होगी। सीबीआइ के अधिकारी की माने तो वीरभद्र सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति बनाने के ठोस सबूत हैं। काली कमाई को सफेद बनाने की कोशिश सीबीआइ के अनुसार 2009 में इस्पात मंत्री बनने के बाद वीरभद्र सिंह ने तीन सालों में अपने सेब के बगान से क्रमश: 7.35 लाख, 15 लाख और 25 लाख रुपये की सालाना आमदनी का आयकर रिटर्न दाखिल किया था।
लेकिन इस बीच आनंद चौहान नाम के एक एलआइसी एजेंट के मार्फत उन्होंने अपने, अपनी पत्नी प्रतिभा सिंह, बेटे विक्रमादित्य सिंह और बेटी अपराजिता के नाम लगभग छह करोड़ रुपये की जीवन बीमा पालिसी खरीदी। इस अतिरिक्त आमदनी को सही ठहराने के लिए वीरभद्र सिंह ने 2012 में संशोधित आयकर रिटर्न दाखिल किया। संशोधित आयकर में उन्होंने सेब के बगान से अपनी आमदनी क्रमश: 2.21 करोड़, 2.08 करोड़ और 1.55 करोड़ रुपये दिखाई। चूंकि सेब के बगान की आय कृषि आय मानी जाती है, इसीलिए इसपर उन्हें कोई आयकर भी नहीं चुकाना पड़ा। हैरानी की बात है कि वीरभद्र सिंह ने पालिसी करने वाला एलआइसी के एजेंट आनंद चौहान को सेव के बगान का ठेकेदार बताया। जल्द होगी पूछताछ सीबीआइ के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि वीरभद्र सिंह की करोड़ों की कमाई उनके स्टील मंत्री रहने के दौरान हुई थी, जो सीधे-सीधे भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत भ्रष्टाचार का मामला बनता है।