भोजपुर में फर्जी एनकाउंटर में चार निर्दोष दिहाड़ी मजदूरों को मार डालने के मामले में यहां की विशेष सीबीआई अदालत ने घटना के करीब 20 साल बाद एक रिटार्यड सीओ (तत्कालीन एसओ) समेत समेत चार पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया है.इनमें से कोर्ट में पेशी पर मौजूद दोषी करार तीन पुलिसकर्मियों को हिरासत में लेकर डासना जिला कारागार भेज दिया गया है. वहीं कोर्ट में गैरहाजिर रहे चौथे दोषी के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है.
विशेष सीबीआई न्यायाधीश राजेश चौधरी की अदालत में पेश मामले के अनुसार 1996 में 8 नवम्बर की रात भोजपुर थाने की पुलिस ने भोजपुर के चार युवकों जलालुद्दीन, प्रवेश, अशोक व जसवीर को बदमाश बताकर मुठभेड़ में मार गिराया था. मोदीनगर की तत्कालीन एएसपी रहीं आईपीएस ज्योति बेलूर के नेतृत्व में हुई इस मुठभेड़ में भोजपुर के तत्कालीन एसओ (रिटार्यड सीओ) लाल सिंह, एसआई जोगिंद्र सिंह, सिपाही सुभाष चंद, सूर्यभान व रणवीर शामिल थे. इनमें से रणवीर की मौत हो चुकी है.
आरोपी आईपीएस ज्योति बेलूर कोर्ट में पेश नहीं हुई. वह काफी पहले लंदन चली गई हैं. वर्ष 2007 में अदालत ने 319 के तहत उन्हें तलब कर नोटिस भेजा था मगर वह आज तक पेश नहीं हुई.अदालत ने सजा पर सुनवाई के लिए 22 फरवरी की तारीख नियत की है. इस मामले में छह पुलिसकर्मियों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें से एक की मौत हो चुकी है. वहीं एक आईपीएस अधिकारी विदेश में होने के चलते अदालत में पेश ही नहीं हुई हैं.
खास बात यह कि मुठभेड़ में मारे गए चारों युवकों का पुलिस कोई आपराधिक इतिहास भी अदालत के समक्ष पेश नहीं कर पाई. बहरहाल मुठभेड़ में मारे गए युवकों के परिजनों की शिकायत पर मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई. सीबीआई ने आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट पेश की. मामले के सीबीआई के अभियोजक राजन दहिया ने गवाह व सूबत पेश किए. सीबीआई की ओर से अभियोजन पक्ष ने 61 गवाह पेश किए. बचाव पक्ष की ओर से पांच गवाह पेश किए गए.
अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद चार आरोपियों भोजपुर के तत्कालीन एसओ (रिटार्यड सीओ) लाल सिंह, एसआई जोगिन्द्र सिंह, सिपाही सुभाष चंद व सूर्यभान को दोषी करार देते हुए सजा पर सुनवाई के लिए 22 फरवरी की तारीख तय कर दी. अदालत ने पेशी पर आए लाल सिंह, जोगिन्द्र सिंह व सुभाष चंद को हिरासत में लेने का आदेश दिया. तीनों को डासना जिला जेल भेज दिया गया.