Ab Bolega India!

सुप्रीम कोर्ट ने कावेरी जल विवाद मामला कर्नाटक के पक्ष में दिया फैसला

कावेरी जल विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक को आदेश दिया कि वह अपने बिलिगुंडलू डैम से तमिलनाडु के लिए 177.25 टीएमसी (थाउजेंट मिलियन क्यूबिक) फीट पानी छोड़े। 2007 में कावेरी ट्रिब्यूनल के अवॉर्ड में 192 टीएमसी फीट पानी छोड़ने का ऑर्डर दिया गया था। कोर्ट ने इसमें 14.75 टीएमसी फीट कटौती कर दी।

यह विवाद तमिलनाडु-कर्नाटक और केरल के बीच था। तीनों राज्यों ने ट्रिब्यूनल के अवॉर्ड को फरवरी 2007 में सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। अदालत ने पिछले साल 20 सितंबर को मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। कर्नाटक और तमिलनाडु एक-दूसरे को कम पानी देना चाहते थे, जिससे अपनी जरूरतें पूरी कर सकें।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने अपने फैसले में कहा कि कर्नाटक को अब 284.75 टीएमसी फीट पानी मिलेगा। केरल को 30 टीएमसी फीट और पुड्डूचेरी को 7 टीएमसी फीट पानी मिलता रहेगा। उसमें कोई बदलाव नहीं होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के कावेरी बेसिन में जमीन के नीचे मौजूद 20 टीएमसी फीट पानी में से 10 टीएमसी फीट पानी इस्तेमाल करने की भी इजाजात दे दी है।सुप्रीम कोर्ट ने कहा बेंगलुरु में ग्राउंड वॉटर के लिए 10 टीएमसी फीट और शहर के लोगों के पीने के लिए 4.75 टीएमसी फीट पानी की जरूरत है।

कोर्ट ने कहा कि पीने के पानी को सबसे ऊंचे लेवल पर रखा जाना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि उसका यह फैसला 15 साल के लिए लागू रहेगा।कावेरी नदी कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल में बहती है। समुद्र में मिलने से पहले ये पांडिचेरी के कराइकल से भी गुजरती है।

800 किलोमीटर लंबी कावेरी नदी पश्चिमी घाट के ब्रह्मगिरी पर्वत से निकलती है। यह इलाका कर्नाटक के कुर्ग क्षेत्र में आता है।कावेरी नदी में चारों राज्यों की नदी-तालाबों से भी पानी डाला जाता है। जानकारों के मुताबिक, इसका 740 टीएमसी फीट पानी इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होता है।

कर्नाटक 462 टीएमसी फीट पानी डालता है। उसमें से उसे 270 टीएमसी फीट पानी इस्तेमाल करने की इजाजत थी।तमिलनाडु 227 टीएमसी फीट पानी डालता है। उसे 419 टीएमसी फीट इस्तेमाल करने की इजाजत थी।केरल 51 टीएमसी फीट पानी डालता है। उसे 30 टीएमसी फीट पानी मिलता था।

14 टीएमसी फीट पानी पर्यावरण के लिए छोड़ना पड़ाता है।इसके मुताबिक, कर्नाटक नदी में सबसे ज्यादा पानी डालकर भी उससे कम पानी पा रहा था। ट्रिब्यूनल के फैसले के मुताबिक, उसे अपना 192 टीएमसी फीट पानी तमिलनाडु को देना था। इसका वह विरोध करता था।

Exit mobile version