कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश अभिजीत गंगोपाध्याय की एकल पीठ ने पश्चिम बंगाल के शिक्षा मंत्री परेश चंद्र अधिकारी की बेटी अंकिता अधिकारी को राज्य द्वारा संचालित एक स्कूल में राजनीति विज्ञान की शिक्षिका के रूप में उनकी सेवाओं से तत्काल बर्खास्त करने का आदेश दिया।
परेश चंद्र अधिकारी कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, एक सरकारी स्कूल में अपनी बेटी की कथित अवैध भर्ती के संबंध में पहले से ही केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की जांच का सामना कर रहे हैं। अदालत ने नोट किया है कि अंकिता का नाम मेरिट लिस्ट में नहीं आया था और साथ ही वह व्यक्तित्व परीक्षण के लिए भी उपस्थित नहीं हुई थीं।
न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय की पीठ ने अंकिता अधिकारी को नियुक्ति के समय से अभी तक मिलने वाला वेतन राज्य सरकार को दो चरणों में वापस करने का भी आदेश दिया। अनुमान के मुताबिक उन्हें अपना 43 महीने का वेतन वापस करना होगा। लौटाए गए वेतन को कलकत्ता उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को जमा करना होगा।
न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने यह भी आदेश दिया कि अंकिता अधिकारी अगले आदेश तक उस स्कूल परिसर में प्रवेश नहीं कर पाएंगी, जहां वह कार्यरत थीं।इस बीच गुरुवार शाम को सेंट्रल कोलकाता में सीबीआई के निजाम पैलेस कार्यालय में पेश होने के बाद, परेश चंद्र अधिकारी से सीबीआई के अधिकारियों ने लगभग साढ़े तीन घंटे तक पूछताछ की थी।
वह शुक्रवार सुबह फिर सीबीआई कार्यालय पहुंचे और उनसे पूछताछ की प्रक्रिया जारी है।परेश चंद्र अधिकारी 2006 से 2011 तक तत्कालीन मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्जी के नेतृत्व वाले पिछले वाम मोर्चा शासन के दौरान पश्चिम बंगाल के कार्यवाहक खाद्य मंत्री थे। अगस्त 2018 में, वह ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक की अपनी पिछली पार्टी को छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए थे ।
और राज्य के तत्कालीन शिक्षा मंत्री और तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी द्वारा पार्टी में उनका स्वागत किया गया था। तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने के 72 घंटे के भीतर ही उनकी बेटी का नाम मेरिट लिस्ट में आ गया। 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें शिक्षा राज्य मंत्री बनाया गया।