मोदी के मंत्रिमंडल के विस्तार और उसमें फेरबदल के एक दिन बाद राजग की सहयोगी शिवसेना ने आज भाजपा पर कटाक्ष किया कि जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडलों में काम करने वाले लोगों की तरह क्षमतावान लोगों को खोजना इन दिनों बहुत मुश्किल है। मंत्रिमंडल के विस्तार में उपेक्षा से नाराज शिवसेना ने कल कहा था कि जिस तरह विस्तार की कवायद की गई उससे वह आहत है। साथ ही पार्टी ने प्रधानमंत्री के ‘चयन मानकों’ पर भी सवाल उठाए थे।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में आज संपादकीय में कहा है ‘ नरेंद्र मोदी अपनी सरकार के अकेले चेहरे हैं। इससे तुलना करें तो इंदिरा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के पास बाबासाहेब अंबेडकर, बाबू जगजीवन राम, यशवंतराव चव्हाण और शंकरराव चव्हाण जैसे ज्यादा उत्कृष्ट सदस्य थे।’’ संपादकीय में आगे कहा गया है ‘‘मानव संसाधन विकास मंत्रालय को उसका नाम पी वी नरसिंह राव की वजह से मिला।
मनमोहन सिंह की वजह से दुनिया को पता चला कि भारत में वित्त मंत्री है जो काम करता है। जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में जैसे क्षमतावान लोग थे वैसे लोग आज नहीं मिल सकते। इस परिदृश्य में मोदी के पास अपने मंत्रिमंडल की पूरी जिम्मेदारी खुद उठाने के अलावा और दूसरा कोई विकल्प नहीं है।
यह तथ्य रेखांकित करते हुए कि, मंत्रिमंडल में शामिल किए गए ज्यादातर सदस्य भाजपा के हैं, शिवसेना ने कहा कि यह कवायद केवल प्रमुख पार्टनर को लेकर थी इसलिए शिवसेना, अकाली दल और तेदेपा जैसे राजग सहयोगियों को अतिरिक्त स्थान न मिलने पर बुरा नहीं मानना चाहिए।
पार्टी ने कहा ‘आज भाजपा के पास बहुमत है इसलिए वह जो चाहे, कर सकती है।’ बहरहाल पार्टी ने राज्य मंत्री बनाए गए आरपीआई (ए) प्रमुख रामदास अठावले पर कटाक्ष करते हुए कहा ‘अठावले ने पूर्व में कहा था कि महाराष्ट्र सरकार में जब तक उनकी पार्टी को जगह नहीं मिलेगी तब तक वह मंत्रिमंडल में पद स्वीकार नहीं करेंगे।